स्वास्थ्य

संजीवनी बूटी है ये पत्ते, खाने के बाद हो जायेंगे अमर, आएगी घोड़े जैसी ताकत

भारत में ऐसी कई औषधियां हैं, जिनका इस्तेमाल उन रोंगों के उपचार में किया जाता है, जिसका कोई उपचार नहीं है पुराने समय से इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है इनके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते और ये वैसे लोगों को भी ठीक कर देता है, जिनके उपचार की लोग आशा छोड़ देते हैं बात यदि जड़ी-बूटियों की कर रहे हैं, तो इसमें हिमालयन वियाग्रा यानी यारसा गंबू का नाम सबसे पहले लिया जाता है

यारसा गंबू को दुनिया के सबसे ताकतवर शक्तिवर्धक के तौर पर जाना जाता है इसके सेवन से मर्दों की कई तरह की बीमारियां दूर की जा सकती है इसमें शारीरिक कमजोरी से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां शामिल है इसका उत्पादन उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में किया जाता है इसके उत्पादन में बर्फ काफी बड़ा रोल प्ले करता है लेकिन इस वर्ष कम बर्फ़बारी की वजह से इसे बेचकर अपना गुजारा करने वाले लोगों के लिए चिंता बढ़ गई है

ऐसे होता है उत्पादन
यारसा गंबू मशरूम की एक प्रजाति है जब ये बड़ा हो जाता है तब इसे हेपिलस प्रजाति का कीड़ा, जो मिट्टी में रहता है, अपने भोजन के साथ खा लेता है इसके बाद बनना प्रारम्भ होता है ये रामबाण औषधीय इस दौरान कीड़ा इसे खाकर मर जाता है और इसमें फफूंद लग जाती है बर्फ के अंदर फफूंद जमी रहती है जब बर्फ पिघलता है तब इसके अंदर से ये ककून बाहर आता है

इतनी है कीमत
यारसा गंबू का इस्तेमाल कई तरह की रोंगों के उपचार में किया जाता है कई तरह के शक्तिवर्धक टॉनिक, और कैंसर की रोग की दवाइयों में इसका इस्तेमाल किया जाता है यदि ठीक खरीददार मिले, तो एक किलो यारसा गंबू के बदले बीस लाख रुपए मिल सकते हैं विदेशों में इसकी काफी डिमांड है लेकिन इसे पैदा होने के लिए लंबे समय तक इसका बर्फ के अंदर दबा रहना जरुरी है लेकिन इस वर्ष कम बर्फ़बारी की वजह से इसका उत्पादन करने वालों में मायूसी देखी जा सकती है

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