कोरोना के बाद कम उम्र के लोगों में क्यों बढ़ें हार्ट अटैक के केस…
झारखंड समेत पूरे राष्ट्र में दिल के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर अंतरराष्ट्रीय महामारी कोविड-19 संक्रमण के बाद दिल के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है और कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मुकदमा भी बढ़े हैं।
दिल के बीमार क्यों बढ़ रहे?
झारखंड के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के दिल बीमारी जानकार और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रशांत कुमार कहते हैं कि कोविड-19 के बाद दिल के मरीजों में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। कोविड-19 वायरस के चलते ब्लड वेसल के इंडोथेरियम में सूजन हो जाता है और उसकी वजह से वहां कोलेस्ट्रॉल और प्लेटलेट का जमाव होने लगता है। इसकी वजह से क्लॉटिंग की आसार बढ़ जाती है और लोगों को हार्ट अटैक आ जाता है।
इन वजहों से बढ़ रहे हैं दिल के रोगी
डॉ प्रशांत ने बोला कि खराब खान-पान, मोटापा, धूम्रपान और व्यायाम नहीं करने की वजह से भी लोगों को दिल की रोग हो रही है। इसकी वजह से ब्लड वेसेल के इंडोथेरियम में कॉलेस्ट्रोल जमा होने लगता है, जिसकी वजह से उसकी मोटाई कम हो जाती है और मांसपेशियों में खून की सप्लाई कम हो जाती है। नतीजा यह होता है कि आदमी में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
वायरस के कारण शरीर में आए परिवर्तन ने बढ़ाई समस्या
रिम्स के एसोसिएट प्रोफेसर ने बोला कि हार्ट अटैक की एक और वजह यह है कि वायरस के कारण शरीर में जो परिवर्तन होते हैं, उसकी वजह से हार्ट के मशल्स में सूजन आ जाता है। यह सीधे तौर पर हार्ट के मशल्स को कमजोर कर देते हैं, जिससे दिल का आकार बढ़ जाता है। साथ ही हार्ट की पंपिंग भी कम हो जाती है, जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
अचानक क्यों आते हैं हार्ट अटैक?
डॉ प्रशांत कुमार कहते हैं कि हार्ट डिजीज कई प्रकार के होते हैं। कंजिनाइटल हार्ट डिजीज और जेनेटिक हार्ट डिजीज या कार्डियो मेपेथीज। कार्डियो मेपेथीज में हार्ट की मांसपेशियों में कुछ ऐसी गड़बड़ी होती है, जिसकी वजह से दिल की मांसपेशियों की मोटाई बढ़ जाती है। ऐसे लोग यदि बहुत अधिक शारीरिक परिश्रम जैसे एक्सरसाइज आदि कर लेते हैं, तो दिल की मांसपेशियों में ऐसा कुछ हो जाता है, जिसकी वजह से लोगों की जान चली जाती है। उन्होंने बोला कि खास बात यह है कि लोगों को इसकी जानकारी होती नहीं है। फलस्वरूप उन्हें कार्डियक स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट हो जाता है।
बीमारियां, जो हमें दिल बीमारी की ओर ले जाता है?
डॉ प्रशांत कहते हैं कि दिल की रोग किसी एक कारण से नहीं होती। इसके कई कारण होते हैं। कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर हैं, जिसको हम ठीक कर सकते हैं। जेनेटिक हार्ट डिजीज को हम रोक नहीं सकते। उन्होंने बोला कि यदि आपको दिल के रोगों से बचना है, तो आपको डायबिटीज को कंट्रोल करना होगा, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना होगा। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना होगा। और सबसे बड़ी बात यह कि धूम्रपान से दूर रहना होगा।
कुछ लोगों में जन्मजात होती है दिल की बीमारी
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनको जन्मजात दिल की रोग होती है। कई बच्चों के दिल में छेद होता है। ऐसे बच्चों की पहचान बहुत सरल है। यदि ऐसे बच्चे बहुत रोते हैं और उनका शरीर नीला पड़ जाए, तो समझ लीजिए कि उस बच्चे में दिल की रोग है। उसे सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत अधिक सर्दी-खांसी होती है। ऐसे भी बच्चे हैं, जिनका शरीर नीला नहीं पड़ता। लेकिन, ऐसे बच्चों को दूध पीते समय माथे से काफी पसीना आता है।
दिल की रोग के लक्षण
- सीने में दर्द होना
- सीने का भारीपन
- धड़कन का बढ़ना
- सांस फूलने की समस्या
- अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो दिल बीमारी जानकार से संपर्क करें।
दिल के रोगों की पहचान के लिए कराएं ये जांच
- ईसीजी : इस जांच से दिल की धड़कन रेगुलर है या नहीं इसका पता चल जाता है। चैंबर का डायलिटिशन कैसा है, कोई बड़ा हार्ट अटैक पहले हुआ है या नहीं, इसका पता चल जाता है।
- इको कार्डियोग्राफी : इस जांच से हार्ट के स्ट्रक्चर का पता चलता है। हार्ट की मांसपेशियों का पावर कितना है, कोई हार्ट अटैक पहले हुआ होता है, तो उसका भी इससे पता चल जाता है।
- प्रोपोलीन ट्री टेस्ट : यह टेस्ट 6 घंटे से पॉजिटिव होने लगता है। यह 10 से 14 दिन तक पॉजिटिव रहता है। इससे पता चलता है कि मशल्स में कोई इंज्यूरी हुई है या नहीं।
- टीएमटी : ऊपर के तीनों टेस्ट नॉर्मल रहे, तो चिकित्सक ट्रेडमिल टेस्ट करवाते हैं।
- कोरोनरी एंजियोग्राफी : अगर ईसीजी, इको कार्डियोग्राफी, प्रोपोलीन ट्री टेस्ट और टीएमटी में भी कुछ गड़बड़ी नहीं मिलती है, तो कोरोनरी एंजियोग्राफी की राय दी जाती है। इसमें भी कोई परेशानी नहीं दिखती, तो रोगी को समय-समय पर दिल बीमारी जानकार से अपनी नियमित जांच कराते रहने की राय दी जाती है।
दिल की रोग से बचने के लिए कैसा हो लाइफस्टाइल?
- हर दिन अपने लिए 40 मिनट निकालें, पैदल चलें।
- धूम्रपान की लत है, तो उसे तुरन्त छोड़ दें।
- फैटी डाइट और फास्ट फूड से परहेज करें।
- रेगुलर एक्सरसाइज के साथ-साथ योग करें।
- ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें।
दिल के मरीजों के लिए गोल्डेन आवर क्या है?
ग्रामीण क्षेत्र में किसी को सीने में दर्द उठे, तो उसे तुरन्त सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाना चाहिए। ईसीजी करवाना चाहिए। यदि ईसीजी में हार्ट अटैक का पता चल जाता है, तो इसके बाद के 12 घंटे तक के समय को गोल्डेन आवर कहते हैं। इस दौरान रोगी का उपचार करके उसे बचाया जा सकता है।
दिल को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
- डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं
- ब्लड प्रेशर का दवा रेगुलर लें
- कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच करवाएं
- अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे अभी छोड़ दें
- दिल की रोंगों को हम रोक सकते हैं।
हृदय बीमारी की चुनौतियां क्या हैं?
डॉ प्रशांत कुमार ने कहा कि पिछले दो दशकों में लोगों में जागरूकता बढ़ी है। 40 से अधिक उम्र के लोग समय-समय पर अपनी जांच करवाते हैं, जिससे लोगों को अपनी परेशानियों के बारे में पता चल जाता है। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी बहुत अधिक सतर्क नहीं हैं। यदि किसी को सीने में दर्द होता है, तो वह उसे गैस का दर्द समझकर इग्नोर कर देता है। खासकर महिलाएं। सीने में दर्द या घुटन महसूस होने पर गैस की दर्द की दवा लेकर उसे दबा देतीं हैं। ऐसे लोग हॉस्पिटल तब पहुंचते हैं, जब उनकी रोग गंभीर हो चुकी होती है। हालांकि, अब लोग सतर्क हुए हैं। अब 40 प्रतिशत लोग दिल की रोग का उपचार कराने के लिए समय पर हॉस्पिटल आ जाते हैं।