मनोरंजन

हीरोइनों के बिना ही पूरी लगी कहानी, लोगों को इस कदर आईं पसंद, ये फिल्में हुई सुपरहिट

बॉलीवुड में हर वर्ष कई फिल्में रिलीज होती हैं. किसी में रोमांस किसी में ग्लैमर तो किसी में मेलोड्रामा देखने को मिलता है, लेकिन कई फिल्में ऐसी भी हैं, जिनमें ऐसा कुछ भी नहीं होता, फिर भी ये दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल होती हैं. कई फिल्में ऐसी भी हैं, जिनमें हीरोइनों के बिना ही कहानी पूरी लगी और लोगों को इस कदर पसंद आईं कि ये फिल्में सुपरहिट बन गईं. ऐसी ही फिल्में जिनमें किसी लीड हीरोइन का तड़कता-भड़कता अवतार देखने को नहीं मिला उसकी लिस्ट हम आपके लिए लाए हैं. ये फिल्में केवल सुपरहिट नहीं रहीं, बल्कि कल्ट क्लासिक भी बनीं.

आमिर

टीवी से मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में राजीव खंडेलवाल की एंट्री कराने वाली फिल्म ‘आमिर’ में भी एक लीड हीरोइन की कमी रही. फिल्म में राजीव एक मुसलमान चिकित्सक के रोल में थे. उनके भूमिका को जबरन एक आतंकवादी षड्यंत्र का हिस्सा बनाया जाता है. फिल्म कमाल की रही और हर किसी ने राजीव की अभिनय को खूब सराहा.

धमाल

फिल्म ‘धमाल’ में संजय दत्त, रितेश देशमुख, अरशद वारसी, आशीष चौधरी और जावेद जाफरी लीड एक्टर्स हैं. इस फिल्म में भी कोई तड़कती-भड़कती हीरोइन नहीं है. ये फिल्म 4 सरफिरे दोस्तों की कहानी दिखाती है, जो गोवा में बड़े खजाने की खोज करते हैं. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धमाल मचाई.

अ वेडनेसडे

‘अ वेडनेसडे’ वर्ष 2006 में रिलीज हुई थी. नीरज पांडे ने फिल्म का निर्देशन किया था. इस फिल्म की कहानी एक ट्रेन विस्फोट से प्रारम्भ होती है. नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर लीड एक्टर्स हैं. ये फिल्म एक बुधवार को घटी घटना के इर्द-गिर्द घूमती है. आम आदमी के रोल में नसीरुद्दीन शाह हैं, वहीं अनुपम खेर पुलिस अधिकारी के रोल में हैं. फिल्म में किसी स्त्री का लीड भूमिका नहीं है.

ओएमजी

‘ओएमजी’ फिल्म में दो मुख्य भूमिका हैं, जिसे परेश रावल और अक्षय कुमार ने निभाया है. फिल्म में फीमेल भूमिका जरूर हैं, लेकिन ग्लैमर का तड़का लगाने वाली कोई लीड हीरोइन फिल्म में नहीं है. मिथुन चक्रवर्ती, ओम पुरी, गोविंद नामदेव, पूनम झावेर, पूजा गुप्ता और महेश मांजरेकर फिल्म में सपोर्टिंग रोल में हैं. फिल्म एक न्यायालय रूम ड्रामा है, जहां काजी भाई एक हादसे का शिकार होने के बाद ईश्वर के विरुद्ध मुकदमा लड़ता है.

यादें

साल 1964 में बनी फिल्म ‘यादें’ का निर्देशन सुनील दत्त ने किया. इस फिल्म में वो बतौर अभिनेता भी नजर आए, लेकिन उन्होंने इसके लिए किसी अदाकारा को कास्ट नहीं किया. ये एक फिल्म है, जिसकी कहानी कुछ इस तरह है- पति जब घर लौटता है तो उसे उसकी पत्नी और बेटा वहां नहीं मिलते. वो मान लेता है कि वो घर त्याग कर चले गए हैं. वो उनके साथ बीते अपने जीवन को याद करता है. एक शॉट में पत्नी झलक जरूर दिखाई गई है, लेकिन बतौर लीड फिल्म में कोई अदाकारा नहीं है.

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