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सैमसंग के बेसिक कीपैड वाले फोन्स से लेकर मोटोराला के फ्लिप फोन ने मचाई धूम

भारत समेत पूरे विश्व में लंबे समय तक लैंडलाइन टेलीफोन इस्तेमाल होते रहे उसके बाद जब मोबाइल टेलीफोन प्रारम्भ हुए तो यह किसी जादू से कम नहीं था गांव-देहात में बिना तार से कनेक्ट हुए दूर-दराज तक वार्ता संभव हो गई नोकिया 1100 से लेकर सैमसंग के बेसिक कीपैड वाले फोन्स से लेकर मोटोराला के फ्लिप टेलीफोन ने धूम मचा दी ब्लैक एंड वाइट स्क्रीन वाले टेलीफोन के बाद फीचर टेलीफोन आने लगे, जो कलर भी थे उनका समय भी शीघ्र ही लद गया और फिर आ गए स्मार्टफोन SmartPhone में स्क्रीन बड़ी होती गई और रैम और मैमरी समेत बाकी फीचर भी अपग्रेड होते गए इस समय बाजार में कई तरह के टेलीफोन मौजूद हैं, जिनमें फोल्डेबल या वियरेबल (कलाई पर पहने जा सकने वाले) टेलीफोन भी शामिल हैं तकनीक की ऐसी दौड़ के बीच प्रश्न है कि भविष्य के टेलीफोन किस तरह के होंगे? उनमें क्या क्षमताएं होंगी? किस तरह के दिखते होंगे?

भविष्य को लेकर उठने वाले प्रश्नों के संदर्भ में एक बात तो कही जा सकती है कि आने वाले समय के टेलीफोन आज के फोन्स से काफी एडवांस होंगे तकनीक से लेकर फीचर सबकुछ बेहतर होंगे चलिए जानने की प्रयास करते हैं कि भविष्य के टेलीफोन कैसे होंगे?

दिमाग से होंगे कंट्रोल
हालांकि हम इस तरह की अद्भुत नजर आने वाली तकनीक से हम दूर हैं, लेकिन वैज्ञानिक इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं 2017 में फेसबुक की बिल्डिंग 8 डिवीजन एक ऐसी तकनीक विकसित कर रही थी जो लोगों को उनके दिमाग से टाइप करने की अनुमति देती है टाइपिंग गति का टारगेट 100 शब्द प्रति मिनट था, जो हमारे SmartPhone पर टाइपिंग के तुलना में पांच गुना तेज़ है हालांकि, बिल्डिंग 8 को 2018 में बंद कर दिया गया, जिससे कुछ खास लोग अन्य कंपनियों में चले गए

MIT के वैज्ञानिक भी इसी तरह का कुछ कर रहे हैं वे एक ऐसे डिवाइस पर काम कर रहे हैं, जिसे ‘आल्टरइगो’ बोला जाता है यह यूजर्स को सिर्फ़ अपने विचारों से मशीनों के साथ वार्ता करने की अनुमति देता है यह अभी ट्रायल पर है अरबपति एलन मस्क भी आदमी के दिमाग में चिप डालने को लेकर प्रयासरत हैं हालांकि इसे लेकर कई तरह की कानूनी और शारीरिक अड़चनें हैं, मगर समझा जाता है कि यह कोशिश सफल होता है तो आदमी अपने दिमाग से सबकुछ कंट्रोल कर पाने में सक्षम होगा

हमेशा 100 प्रतिशत रहेगी बैटरी
ओवर द एयर तकनीक से ऐसा संभव होगा मोटोरोला ने पिछले वर्ष अपनी एयर-टू-एयर चार्जिंग (air-to-air charging) तकनीक का जिक्र किया था शाओमी ने भी एक ऐसी ही तकनीक के बारे में कहा था, जिसे Mi Air Charge का नाम दिया गया था दोनों ने बोला था कि यह तकनीक कुछ मीटर दूर तक उनके टेलीफोन चार्ज कर देगी ये तकनीक तो देर-सवेर आ ही जाएगी मगर इसके आगे की सोचें तो संभव है कि पावरफुल ट्रांसमिटर काफी अधिक दूरी से भी टेलीफोन या अन्य डिवाइस (जो बैटरी पर चलते हैं) को चार्ज कर सकने में सक्षम हो सकते हैं इसे यूं समझिए, जैसे आज के समय में मोबाइल नेटवर्क टावर काम करते हैं आप जहां भी जाते हैं नेटवर्क मिलता है इसी तरह वह पावर ट्रांसमिटर टावर आपके टेलीफोन को भी हमेशा 100 प्रतिशत चार्ज रखेंगे आपको बैटरी की चिंता करने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं होगी यह तकनीक सिर्फ़ स्मार्टफोनों के लिए ही नहीं होगी, बल्कि यह सभी गैजेट्स को चार्ज करेगी, जैसे कि लैपटॉप या स्मार्टवॉच इलेक्ट्रिक कार भी

स्ट्रैचेबल टेलीफोन (Stretchable phones)
अभी तक हमने फोल्डेबल टेलीफोन देखे हैं इनमें OnePlus Open, Samsung Galaxy Z Fold 5, और Motorola Razr+ जैसे टेलीफोन शामिल हैं भविष्य में हमें टेलीफोन देखने को मिल सकते हैं, जिनकी स्क्रीन फैल या सिकुड़ सकेगी आवश्यकता के हिसाब से स्क्रीन का साइज घटाया जा बढ़ाया जा सकेगा सैमसंग ने 2017 में स्ट्रैचेबल डिस्प्ले को लेकर घोषणा करते हुए था इसे 12 एमएम पर मोड़ा जा सकता है इतना मोड़ने पर भी टेलीफोन को कोई खतरा नहीं एक तरह का ट्रैम्पोलिन, जोकि वापस अपनी शेप में आ जाता है कंपनी ने पिछले ही वर्ष इसका लेटेस्ट वर्जन दिखाया, जिसे कि स्ट्रेच या मॉर्फ किया जा सकता था

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