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सोने में तेजी के बीच मिल रहा ये सुनहरा मौका

सोने की कीमतें ऊंची: सोने की कीमतें प्रत्येक दिन नयी ऊंचाई पर पहुंच रही हैं. कल ज्यादातर शहरों में सोने की मूल्य 2.55 रुपये थी. 75000 की बढ़ोतरी हुई है अप्रैल में अब तक सोने की मूल्य 2.55 करोड़ रुपये हो चुकी है. बढ़कर 5500 हो गया है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर अभी 33 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न देखने को मिला है. सोने की इस जोरदार तेजी का लाभ उठाकर निवेशक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेच सकते हैं और मुनाफावसूली कर सकते हैं. क्या ऐसा संभव है? चलो पता करते हैं…

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में 15 अप्रैल को 22.43 करोड़ सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड वॉल्यूम दर्ज किया गया. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में उपस्थित भौतिक सोने की तुलना में अधिक सही और सुरक्षित होते हैं. उल्लेखनीय है कि, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 8 वर्ष है, आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को आठ वर्ष के बाद ही बेच सकते हैं. हालांकि, गोल्ड बॉन्ड जारी होने की तारीख से पांच वर्ष के बाद आरबीआई के जरिए इसमें से निवेश निकाला भी जा सकता है.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले भुनाया जा सकता है

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को आठ वर्ष की परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद ही भुनाया जा सकता है. लेकिन आप आरबीआई की सहायता से पांच वर्ष के बाद भी निवेश निकाल सकते हैं. इसके अतिरिक्त सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पांच वर्ष से पहले भी शेयर बाजार में बेचना संभव है. जिसके लिए इसकी इकाइयों का डीमटेरियलाइज्ड रूप में होना जरूरी है.

सॉवरेन गोल्ड बांड की बिक्री पर टैक्स

परिपक्वता के बाद सॉवरेन गोल्ड बांड की बिक्री पर कोई पूंजीगत फायदा कर लागू नहीं होता है. लेकिन यदि आप मैच्योरिटी से पहले भुनाते हैं तो आपको ब्याज पर टैक्स देना होगा. आरबीआई द्वारा पैसे के भुगतान पर कोई कर नहीं लगाया जाता है.

ब्याज पर कर

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर हर दूसरे महीने ब्याज मिलता है. जिससे आपकी आय बढ़ती है इसलिए वित्तीय साल के अंत में टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स का भुगतान करना होगा.

परिपक्वता से पहले बिक्री

अगर आप खरीदारी के आठ वर्ष के भीतर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सीरीज-I 2017-18 की 100 इकाइयां बेचते हैं, तो इसकी बिक्री पर प्राप्त रिटर्न पर पूंजीगत फायदा कर लागू होता है. परिपक्वता से पहले सोने के बांड की बिक्री कर योग्य है. 3 वर्ष के बाद बॉन्ड बेचने पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है लेकिन यदि निवेशक ऊंचे टैक्स स्लैब में आता है तो उसे 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा

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