सीएचसी डॉक्टर की लापरवाही, नवजात को किया मृत घोषित, 12 घंटे बाद चली धड़कन

सीएचसी डॉक्टर की लापरवाही, नवजात को किया मृत घोषित, 12 घंटे बाद चली धड़कन

आगरा के बाह तहसील के जैतपुर सीएचसी में चिकित्सक की ढिलाई का मामला सामने आया है. दावा है कि सीएचसी पर चिकित्सक ने जिस नवजात को मृत बताया, उसकी 12 घंटे बाद धड़कन चल रही थी. जल प्रवाह करते समय नवजात ने आंख खोली तो परिजन उसे हॉस्पिटल लेकर भागे. डॉक्टर ने उसे आगरा रेफर कर दिया, लेकिन वहां पर उसे फिर से मृत घोषित कर दिया गया. अब परिजन सीएचसी पर प्रसव के दौरान ढिलाई का आरोप लगा रहे हैं.

गुरुवार को हुई थी डिलीवरी

पारना गांव निवासी चंदन सिंह गुरुग्राम में नर्सरी की देखभाल का काम करते हैं. बताया गया है कि गुरुवार रात को उनकी पत्नी मीरा देवी को प्रसव पीड़ा हुई. , परिजनों रात 10 बजे उन्हें जैतपुर सीएचसी पर लेकर पहुंचे. जहां पर रात 10.30 बजे प्रसव हुआ. बताया गया है कि नवजात को नर्सिंग स्टाफ ने मृत बताकर कपड़े में लपेटकर परिजनों को सौंप दिया. इसके बाद रात में मीरा देवी को घबराहट और बेचैनी होने पर उनका इलाज किया. हालत ठीक होने पर उनको भी घर भेज दिया.

चंदन सिंह ने बताया कि गुरुवार को उन्हें साढे़ 10 बजे टेलीफोन पर बताया गया कि लड़का हुआ है. थोड़ी देर बाद फिर टेलीफोन आया कि वो मृत है. नवजात की मृत्यु की सूचना पर वो शुक्रवार की सुबह 10 बजे के करीब गांव पहुंचे. नवजात का आखिरी संस्कार के लिए उसे यमुना में जल प्रवाह के लिए ले जाया गया. वहां पर ए नहलाते समय नवजात ने सांस ली. शरीर में हलचल के साथ उसने आंखे खोली. नवजात को जिंदा पाकर परिजन उसे उपचार के लिए गांव के निकट पड़ने वाले सिरसागंज में डॉक्टर के पास ले पहुंचे. परिजनों के अनुसार नवजात की हालत चिंताजनक बताकर डॉक्टर ने आगरा भेज दिया. उसने कहाकि बच्चे को तुरन्त वेंटिलेटर की जरूरत है. वो बच्चे को आगरा लेकर पहुंचे, जहां पर डॉक्टरों ने उसे फिर से मृत घोषित कर दिया.

लापरवाही का आरोप
चंदन सिंह ने बताया कि प्रसव में ढिलाई बरती गई है. नवजात को ठीक देखा होता और उसे समय पर उपचार मिल जाता तो जान बच सकती थी. चिकित्सक ने बच्चे की ठीक से सफाई तक नहीं की. उनके अनुसार प्रसव के 12 घंटे बाद नवजात की सांस चलती मिली. उन्होंने दोषियों के विरूद्ध जांच और कार्रवाई की मांग की है. इस संबंध में जैतपुर सीएचसी के अधीक्षक डाक्टर विनय कुमार ने बताया कि नवजात के जल प्रवाह के समय जिंदा होने के बारे में सुना है, कम्पलेन मिलने पर जांच और कार्रवाई होगी. नवजात को परिजन शिकोहाबाद और आगरा में कहां ले गये, जानकारी जुटाई जाएगी. तभी कुछ साफ हो सकेगा.

बेटे के लिए मांगी थी मन्नत
पारना की मीरा देवी का छठवां प्रसव था. पांच बेटियां तुलसी (15), प्रिया (11), दक्षिता (8), साक्षी (5), प्रियांसी (3) के बाद बेटा पैदा हुआ था. घरवालों का बोलना है कि
बेटे को जन्म के बाद ही नर्सिंग स्टाफ की ढिलाई ने उनसे छीन लिया. पिता चंदन सिंह और प्रसूता मीरा देवी ने बताया कि उन्होंने बेटे के लिए मन्नतें मांग रखी थी. मंदिरों में जाकर प्रार्थनाएं की थी.