उत्तराखण्ड

बुधवार को पूजा पाठ और विधि-विधान के साथ बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट, कब बंद होंगे बदरीनाथ के कपाट

उत्तराखंड (Uttrakhand) में स्थित विश्व मशहूर उच्च गढ़वाल हिमालयी धाम केदारनाथ (Kedarnath Dham) के कपाट बुधवार को भैयादूज के पावन पर्व पर परंपरागत पूजा पाठ और विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए . इंडियन आर्मी के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच केदारनाथ मंदिर के कपाट सुबह साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए बंद किए गए . कपाट बंद होने के मौके पर कड़ाके की ठंड के बावजूद ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री ईश्वर के दर्शनों के लिए केदारनाथ में उपस्थित थे और ‘जय केदार’, ‘बम बम भोले’ और ‘ऊं नम: शिवाय’ का जयघोष कर रहे थे . 

इस अवसर पर केदारनाथ मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था. पिछले दिनों हुई बर्फबारी के चलते केदारनाथ पुरी और आसपास का क्षेत्र ताजे बर्फ से ढका है जिसके कारण ठंडी हवाएं चलने से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. कपाट बंद होने के बाद ईश्वर केदारनाथ की पंचमुखी डोली हजारों तीर्थयात्रियों और सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल अपने प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई.

इससे पहले, ब्रह्ममुहूर्त में ही केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल गये और मुख्य पुजारी रावल भीमाशंकर लिंग ने क्षेत्रीय शुष्क पुष्पों, ब्रह्म कमल, कुमजा और राख से स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया . इस अवसर पर भारतीय सेना, हिंदुस्तान तिब्बत सीमा पुलिस तथा दानदाताओं ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे भी आयोजित किये .

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बोला कि इस वर्ष साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने ईश्वर केदारनाथ के दर्शन किये. कपाट बंद होने के बाद अब श्रद्धालु ईश्वर के शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में उनके दर्शन और पूजा करेंगे .

गढ़वाल हिमालय के चार धाम के नाम से मशहूर धामों में से एक गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अन्नकूट के पर्व पर बंद हुए थे जबकि यमुनोत्री के कपाट बुधवार को बंद होंगे . बदरीनाथ के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे . सर्दियों में बर्फबारी और भयंकर ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर वर्ष अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले वर्ष अप्रैल—मई में फिर खोल दिए जाते हैं .

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