15 नवंबर को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर एक व्यक्ति ने शुरू की साइकिल से अपनी यात्रा, जानें क्या था इसका मकसद
हिमालय में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। मौसम बदलाव होने से बेशकीमती जड़ी बूटियों के साथ हिमालयी इलाकों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में पहाड़ का एक पुरुष ग्लेश्यिर और पर्यावरण को बचाने के मकसद से हिंदुस्तान भ्रमण पर निकला है। यह यात्रा वह साइकिल से पूरी करने जा रहा है। पुरुष द्वारा यात्रा के दौरान विभिन्न राज्यों और शहरों में जाकर लोगों को क्लाइमेट चेंज के प्रति सतर्क किया जाएगा।
चमोली जिले के नंदप्रयाग घाट ब्लॉक के अंतिम गांव सुतोल गांव निवासी 24 वर्षीय कंचन नेगी (कमलेश) साइकिल से हिंदुस्तान भ्रमण पर निकला है। कंचन नेगी ने 15 नवंबर को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन से भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर अपनी यात्रा प्रारम्भ की है।
‘सेव ग्लेशियर, सेव क्लाइमेट’ के साथ यात्रा
अपनी यात्रा के दौरान श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे कंचन नेगी बताते हैं कि वह पहाड़ के उस क्षेत्र के निवासी हैं, जो हिमालय से जुड़ा है। वह ग्लेश्यिर के निकट रहते हैं। वह पल-पल पिघल रहे और पीछे खिसक रहे ग्लेश्यिरों को देखते हैं। कंचन कहते हैं कि यदि हिमालय ही नहीं रहेगा तो हिमालय में रहने वाले लोगों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। कंचन बताते हैं कि लोगों को पर्यावरण के प्रति सतर्क करने के लिए उनके द्वारा साइकिल यात्रा प्रारम्भ की गई है। उनकी प्रयास है कि 6 महीने के अंदर देशभर में ‘सेव ग्लेशियर, सेव क्लाइमेट’ के मोटो को लेकर भ्रमण किया जाए।
केदारनाथ से प्रारम्भ की यात्रा
गढ़वाल यूनिवर्सिटी से बीएससी बायोटेक्नोलॉजी कर चुके कंचन नेगी पहाड़ों में ही रहकर स्वरोजगार की राह अपना रहे हैं। साथ ही वह आगे भी पढ़ाई में रुचि रखते हैं। कंचन बताते हैं कि जब परिजनों को उन्होंने अपनी इस यात्रा के बारे में जानकारी दी तो वे काफी घबरा गये थे। कई हफ्तों तक समझाने के बाद उनके माता-पिता इस सतर्क यात्रा के लिए मान गये। उन्होंने बोला कि उन्होंने केदारनाथ कपाट बंद होने के दिन से यात्रा प्रारम्भ की है। प्रयास रहेगी कि कपाट खुलने पर वह इस यात्रा से वापस केदारनाथ धाम पहुंचे। शुरुआती महीनों में कंचन हिमालयी राज्यों के शहरों में भ्रमण कर जागरूकता अभियान चलाएंगे। वह बताते हैं कि दिन में वह यात्रा करेंगे और रात को कैंपिंग करेंगे।
साइकिल से ही यात्रा क्यों?
कंचन नेगी का बोलना है कि वह पर्यावरण को बचाने के संदेश के साथ यात्रा पर निकले हैं, इसलिए उन्होंने यात्रा का साधन साइकिल चुना, जिससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है। साथ ही साइकिलिंग से आदमी शारीरिक रूप से भी फिट रहता है। यही कारण है कि वह साइकिल से यात्रा कर रहे हैं।