एनकाउंटर में मारा गया राशिद कालिया इन ठिकानों पर से ऐसे उठाता था सुपारी
यूपी के झांसी में हुए मुठभेड़ में एसटीएफ के हाथों मारा गया शातिर राशिद कालिया बिना मोबाइल और सोशल मीडिया एकाउंट के भी क्राइम के कॉनट्रेक्ट ले लेता था। उसने शहर में चार स्थान ठिकाने बना रखे थे, जहां से वह सुपारी उठाता था। इन ठिकानों पर ही उसे मैसेज मिलते थे और वहीं पर धनराशि भी मिल जाती थी।
अपराध से अर्जित धनराशि वह ससुराल वालों और परिजनों के बीच बांट देता था। वह टेलीफोन नहीं रखता था लेकिन कॉन्ट्रैक्टर को पता रहता था कि राशिद के लिए मैसेज कहां भेजना है। राशिद कालिया के इन ठिकानों के बारे में एसटीएफ ने पुलिस को जानकारी दी है। उनपर जांच प्रारम्भ कर दी गई है।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार राशिद कालिया के अपराधिक घटनाओं को करने का कोई दर तय नहीं था। वह 10 हजार रुपये तक में मर्डर करने को तैयार रहता था। राशिद घटना को अंजाम देकर दोबारा उसी ठिकाने पर पहुंच जाता था और वहां से उससे पैसे लेने के बाद अंडरग्राउंड हो जाता था।
शहर में उसने बाबूपुरवा, बजरिया, चिश्ती नगर और चमनगंज में ठिकाना बना रखा था। वहीं, एसटीएफ सूत्र बताते हैं कि सन 2004 में बाबूपुरवा क्षेत्र में एक मर्डर हुई थी, उसमें पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। उसमें पुलिस को राशिद के होने की पूरी संभावना थी मगर कोई सबूत नहीं मिले।
गाड़ी लूटने के लिए की थी झांसी में हत्या
राशिद और उसके बहनोई आरिफ ने झांसी से जिस पुरुष का किडनैपिंग कर मर्डर की थी उसमें कारण वाहन लूटने का था। मोहसीन नाम के पुरुष ने सन 2009 में नयी स्कॉर्पियो वाहन निकलवाई थी। उसी को इन दोनों ने लखनऊ जाने के लिए बुक किया और रास्ते में उसकी मर्डर कर मृतशरीर कानपुर देहात में फेंक दिया था।
कानपुर देहात की पुलिस ने अज्ञात में मुद्दा दर्ज कर उसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसके बाद मोहसीन के परिजनों ने दौड़ भाग कर नवाबाद पुलिस स्टेशन में किडनैपिंग की रिपोर्ट दर्ज कराई बाद में इसकी विवेचना में मर्डर का खुलासा हुआ था।
चिनहट में डकैती डाली दूसरे नाम से गया जेल
लगभग 8-9 वर्ष पहले लखनऊ चिनहट में राशिद ने डकैती की घटना को अंजाम दिया था मगर इस मुद्दे में वह दूसरे नाम से कारावास चला गया था। बाद में पुलिस को इसकी जानकारी हुई मगर तब तक वह जमानत पर बाहर आ गया था।
हर माह 70-80 हजार रुपये कमा लेता था
आपराधिक घटनाओं से राशिद कालिया हर माह 70-80 हजार रुपये कमा लेता था। मगर स्वयं पर उसका पांच हजार रुपये माह का खर्चा था। बचा हुआ पैसा वह अपने ससुराल वालों और परिजनों को दे देता था। राशिद का ससुर बस चलाता है। राशिद और उसके ससुराल वाले घर बदलने में माहिर थे। हर तीन चार माह में वह कमरा बदल देते थे। ताकी पुलिस उन्हें परेशान न करे। ससुराल वालों को मालूम था कि राशिद कालिया क्राइम की कमाई से अपना घर चला रहा है।
पुलिस दस्तावेजों से नाम हटेगा
बसपा नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर की मर्डर के मुद्दे में पुलिस दस्तावेजों में दर्ज एक लाख के इनामी राशिद कालिया का नाम हटेगा। पुलिस उसके नाम पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करेगी। बाकी जो आरोपित हैं उनका केस ट्रायल पर है और वह ऐसे ही जारी रहेगा। 20 जून 2020 को चकेरी क्षेत्र में बीएसपी नेता पिंटू सेंगर की गोलियों से भूनकर मर्डर कर दी गई थी। जिसमें पुलिस ने मुख्य आरोपित पप्पू स्मार्ट समेत 15 लोगों को अरैस्ट कर कारावास भेजा था।
इस घटना में राशिद कालिया का भी नाम शामिल था मगर वह फरार था। शनिवार को झांसी में एसटीएफ और राशिद के बीच एनकाउंटर हुई, जिसमें उसकी मृत्यु हो गई थी। एसीपी चकेरी अमरनाथ ने कहा कि जो केस पिंटू सेंगर हत्याकांड में दर्ज हुआ था। उसमें राशिद के नाम पर पुलिस अब फाइनल रिपोर्ट दाखिल करेगी। उसका नाम मुकदमा से हटाया जाएगी।