पीठ की ओर से नहीं करने चाहिए गजानन के दर्शन,जाने क्यों…
अयोध्या। हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं में गणपति बप्पा की पूजा सबसे पहले की जाती है, यानी सभी देव में ईश्वर गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। कोई भी शुभ अथवा विशेष कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी प्रसन्न होने पर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं।
इतना ही नहीं, धार्मिक शास्त्रों की मानें तो यदि कोई भी काम रुक रहा हो या फिर किसी काम में असफलता मिलती हो तो गणेश जी ही एक ऐसे देवता हैं, जिनका नाम मात्र लेने से कष्ट दूर हो जाते हैं। यही वजह है कि इन्हें विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, मंगलमूर्ति जैसे नामों से जाना जाता है। सच्चे मन से गणेश जी की आराधना की जाए तो सभी कष्ट दूर होते हैं।
पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि गणेश जी की पीठ के पीछे दरिद्रता का वास होता है। इसलिए श्रद्धालुओं को पीठ की ओर से गजानन के दर्शन नहीं करने चाहिए। ऐसा करने पर घर में गरीबी और दरिद्रता का वास होता है। कई परेशानियां सामने आने लगती हैं। इनकी पीठ का दर्शन करना धार्मिक शास्त्रों में वर्जित कहा गया है।
इसलिए करें सामने से दर्शन
आगे कहा कि बोला जाता है कि गणेश जी की सूंड पर धर्म विद्यमान है, वहीं उनके कानों पर ऋचाएं विद्यमान हैं। गणेश जी के भिन्न-भिन्न अंगों में देवी-देवताओं का वास होता है। यही वजह है कि गणेश जी के सामने से दर्शन करने से सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि कोई भी आदमी गणेश जी के पीठ का दर्शन करता है तो वह पीड़ा से गुजरता है। इसी कारण से उनकी पीठ को नहीं देखना चाहिए। यदि आप गलती से भी ईश्वर गणेश के पीठ का दर्शन करते हैं तो फिर आपको गणेश जी की वंदना करते हुए क्षमा याचना मांगनी चाहिए।