बिज़नस

अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली कम होकर आ गई 4.83% पर…

10 मई, 2024 को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति वार्षिक आधार पर अप्रैल में हल्की रूप से कम होकर 4.83% हो गई, जो पिछले महीने मार्च में 4.85% थी. मुद्रास्फीति की रेट भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की सहनशीलता सीमा 2-6% के भीतर बनी हुई है. रॉयटर्स द्वारा 44 अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण के अनुसार, अपेक्षित मुद्रास्फीति रेट घटकर 4.80% होने का संभावना व्यक्त किया गया था.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने कहा कि खाद्य टोकरी में मुद्रास्फीति मार्च में 8.52% से बढ़कर अप्रैल में 8.7% हो गई. साल-दर-साल सब्जियों की महंगाई रेट मार्च के 28.30% से कम होकर 27.80% रही. इसके अतिरिक्त, हिंदुस्तान के मुख्य आहार के जरूरी घटक अनाज और दालों की मुद्रास्फीति रेट क्रमशः 8.63% और 16.84% दर्ज की गई. अप्रैल में ईंधन और प्रकाश की मुद्रास्फीति रेट में 4.24% की कमी देखी गई.

आधिकारिक विज्ञप्ति में बोला गया है, “शीर्ष पांच समूहों में, ‘कपड़े और जूते’, ‘आवास’ और ‘ईंधन और प्रकाश’ समूहों पर साल-दर-साल मुद्रास्फीति में पिछले महीने से कमी आई है.”  कपड़े और जूते तथा आवास की मुद्रास्फीति रेट क्रमशः 2.85% और 2.68% दर्ज की गई.

ईवाई इण्डिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा “अप्रैल 2024 में सीपीआई मुद्रास्फीति दिसंबर 2023 से नीचे की ओर जारी है. यह लगातार दूसरा महीना है जब मुद्रास्फीति 5% से नीचे है. हालाँकि खाद्य मुद्रास्फीति 8.7% पर थोड़ी अधिक है, लेकिन नीचे की ओर दबाव पेट्रोलियम से संबंधित कमोडिटी समूहों अर्थात् ईंधन और प्रकाश और परिवहन और संचार सेवाओं से उत्पन्न होता है. मुख्य मुद्रास्फीति भी नीचे की ओर 3.2% पर पहुंच गई है, जो 2012 आधार सीपीआई श्रृंखला में सबसे कम है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो वित्त साल 2025 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति आरबीआई के 4.9% के अनुमान से थोड़ी कम हो सकती है.

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 5 अप्रैल को अपनी घोषणा में लगातार सातवीं बार पॉलिसी रेपो रेट 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय किया. केंद्रीय बैंक के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, चालू वित्त साल के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 4.5% रहने का अनुमान है.

उन्होंने बोला कि “पिछले महीने से अपरिवर्तित हेडलाइन और मुख्य मुद्रास्फीति रीडिंग एमपीसी को राहत प्रदान करती रहेगी. हालांकि, अनियमित मौसम और गर्मी की लहरों के कारण समग्र धारणा सावधान रहनी चाहिए. नीति में लंबे समय तक ठहराव के कारण, हम अभी आरबीआई की कहानी में अधिक परिवर्तन की आशा नहीं करते हैं. दरें आधार मुद्दा बनी हुई हैं.

Related Articles

Back to top button