उत्तर प्रदेश

LS Polls 2024: कौन लड़ेगा अमेठी-रायबरेली से चुनाव अप्रैल के आखिरी हफ्ते में कांग्रेस करेगी तय

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने अपने हिस्से में आईं दो सीटों को छोड़कर सभी पर उम्मीदवारों के नामों का घोषणा कर दिया है. लेकिन जिन दो सीटों पर अभी प्रत्याशी नहीं उतारे हैं, दरअसल वह अमेठी और रायबरेली ही हैं. कांग्रेस पार्टी पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें, तो अब इन दो सीटों पर निर्णय अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हो सकता है. दरअसल रायबरेली और अमेठी में पांचवें चरण में चुनाव होना है, जिसकी चुनावी अधिसूचना 26 अप्रैल से लागू होगी. हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इन दो सीटों पर प्रत्याशी घोषित न किए जाने से राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने यूपी की अपनी एक और सूची में रायबरेली और अमेठी को छोड़ दिया. कांग्रेस पार्टी पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार रायबरेली और अमेठी सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर चर्चा तो की गई, लेकिन किसी प्रत्याशी के नाम पर आखिरी मुहर नहीं लगी है. कहा यही जा रहा है कि बुधवार को जब यूपी के प्रत्याशियों की सूची घोषित हो रही थी, तो रायबरेली और अमेठी के प्रत्याशियों की सूची को पांचवें चरण में होने वाले मतदान के चलते होल्ड पर डाल दिया गया. सूत्रों के अनुसार बैठक से पहले ही इस बात पर सहमति बन चुकी थी कि रायबरेली और अमेठी के प्रत्याशियों की घोषणा बुधवार को नहीं होगी. क्योंकि पांचवें चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव की नामांकन आखिरी तिथि तीन मई है और नामांकन भरने की प्रक्रिया 26 अप्रैल से प्रारम्भ होगी. इसलिए इन दो सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा 26 अप्रैल के आसपास ही हो सकती है.

कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के मताबिक अभी तक जो कयास रायबरेली सीट पर लगाए जा रहे थे, उस पर अभी कुछ ठोस रणनीति नहीं बनी है. यानी सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में गांधी परिवार से किसी सदस्य को चुनाव लड़ाए जाने की चर्चाएं हो रही थीं. सूत्रों के अनुसार अभी अब तक की स्थिति में गांधी परिवार से कोई भी इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ने के लिए आगे नहीं आया है. हालांकि रायबरेली सीट पर तीन बार सर्वे कराया जा चुका है. इसमें एक सर्वे तो टेलीफोन के माध्यम से पर्सनल तौर पर बड़ी संख्या में भी करवाया गया है. जानकारों की मानें तो अभी तक सर्वे में यह पुख्ता किया जा रहा कि गांधी परिवार के लिए यह सीट सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में कितनी मजबूत है.

हालांकि सियासी जानकारों की मानें, तो रायबरेली और अमेठी में अब तक प्रत्याशियों के चयन में इस ढंग की देरी पहले कभी नहीं हुई. वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु त्रिवेदी कहते हैं कि अमेठी और रायबरेली यह दो सीटें पहले से ही तय प्रत्याशियों के साथ घोषित मानी जाती थीं. लेकिन इस बार जैसे ही सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ने से इंकार किया और एक चिट्ठी लिखी, तो कयास लगाए जाने लगे कि गांधी परिवार से कौन प्रत्याशी होगा. इसके अतिरिक्त राहुल गांधी के चुनाव हारने के बाद अमेठी में कयास लगाए जाते रहे कि क्या दोबारा राहुल लड़ेंगे या नहीं? हिमांशु कहते हैं कि अब जब यूपी में गठबंधन के हिस्से में आई कांग्रेस पार्टी की सीटें तय हो चुकी हैं, तो अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशी का घोषित न होना गांधी परिवार की विरासत वाली सीटों पर कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है.

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी हो रही हैं कि क्या इन दोनों सीटों पर इस बार गांधी परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा. सियासी जानकार और वरिष्ठ पत्रकार नसरुद्दीन कहते हैं कि एक तो कांग्रेस पार्टी पहले से ही 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि यूपी में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता बीते कुछ समय से लगातार सभी सीटों पर मजबूती से मेहनत करते आए हैं. हालांकि राजनीतिक गठबंधन में सभी सीटों पर चुनाव तो नहीं लड़े जा सकते हैं, लेकिन यह बात भी तय है गांधी परिवार से यदि कोई उत्तरप्रदेश में चुनाव नहीं लड़ता है, तो इसका असर कार्यकर्ताओं के आत्मशक्ति पर निश्चित तौर पर पड़ेगा. कांग्रेस पार्टी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता मानते हैं कि यूपी में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से कोई एक या दोनों लोगों को चुनावी मैदान में उतरना चाहिए. उनका बोलना है कि हार या जीत अपनी स्थान हो सकती है, लेकिन चुनावी मैदान में उतरने से एक सकारात्मक संदेश जरूर कार्यकर्ताओं तक पहुंचेगा, जो कांग्रेस पार्टी के लिए यूपी में एक टॉनिक जैसा होगा.

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