चंद्रशेखर आजाद की वीरगाथा खा गया दीमक
Chandrashekhar Azad: अंग्रेजों से मोर्चा लेने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के विरुद्ध अंग्रेजों ने कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में ही जानलेवा हमले की एफआईआर दर्ज की थी। रजिस्टर नंबर आठ में आज भी एनकाउंटर की कहानी अंकित है। दीमक लग चुके इस रजिस्टर को पुलिस ने संरक्षित करने की बहुत प्रयास की। अब कर्नलगंज इंस्पेक्टर बृजेश कुमार सिंह ने एक नयी पहल की है। इस डॉक्यूमेंट्स को फोटो फ्रेम में संरक्षित करके कर्नलगंज पुलिस स्टेशन की विरासत के रूप में दीवार पर टांग दिया है।
कर्नलगंज थाना परिसर में बने थाना प्रभारी के चैंबर में आजाद की वीरगति की कहानी हमेशा के लिए सुरक्षित कर दी गई है। पुलिस स्टेशन की दीवार पर डॉक्यूमेंट्स को सजा दिया गया है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आजाद अपने साथी के साथ आजाद पार्क में अंग्रेजों से लोहा लिए थे। आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपनी कुर्बानी दे दी। उनकी वीरगति के बाद अंग्रेजों ने चंद्रशेखर आजाद और उनके एक अज्ञात साथी के विरुद्ध कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में एनकाउंटर की एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर की कॉपी तो पुलिस स्टेशन में सुरक्षित नहीं है, लेकिन रजिस्टर नंबर आठ में पूरी दास्ता अंकित है। आजादी के पहले से बने इस पुलिस स्टेशन में उर्दू और फारसी शब्दों में एनकाउंटर की कहानी लिखी है। कई वर्षों पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की सहायता से इसका अनुवाद कराया गया।
उस अनुवाद की कॉपी भी रजिस्टर नंबर आठ में सुरक्षित है। दीमक लगने के कारण रजिस्टर नंबर आठ की कॉपी खराब होती जा रही है। ऐसे में इसे संरक्षित करने के लिए पुलिस ने इस पेज को फ्रेम में मड़वा कर डॉक्यूमेंट्स को दीवार पर टांग दिया है। आजाद के विरुद्ध केस दर्ज होने के बाद उस समय तैनात उपनिरीक्षक राय साहिब चौधरी, रिशाल सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया था, लेकिन यह पता नहीं चला कि आजाद के साथ किसने अंग्रेजों पर गोलियां चलाई थीं।