एसपी श्वेता श्रीवास्तव के बेटे को कुचलकर मार डालने वाले कार चालक हुए गिरफ्तार
लखनऊ में तैनात एडिशनल एसपी श्वेता श्रीवास्तव के 9 वर्ष के इकलौते बेटे को कुचलकर मार डालने वाले कार चालक अरैस्ट कर लिये गए हैं। कार एमिटी यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी सार्थक सिंह चला रहा था। उसके साथ कार में दोस्त देवश्री भी बैठा था। दोनों को लखनऊ पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया है। कार देवश्री के चाचा अंशुल की बताई जा रही है। अंशुल कानपुर में सराफा के व्यवसायी हैं। कहा जा रहा है कि एसयूवी के साथ रेस लगाया जा रहा था। इसी दौरान स्केटिंग सीखकर लौट रहे एसीपी श्वेता श्रीवास्तव के बेटे को रौंद दिया गया। वहीं, पोस्टमार्टम हाउस पहुंचीं एसीपी बेसुध दिखीं। परिवार वाले उन्हें संभालते रहे।
एडिशनल एसपी श्वेता श्रीवास्तव का इकलौता बेटा नैमिश मंगलवार की सुबह घर से स्केटिंग करने के लिए निकला था। वापस लौटते समय जनेश्वर मिश्र पार्क के सामने तेज रफ्तार में जा रही कार ने 9 वर्ष के बच्चे को जोरदार टक्कर मार दी। राहगीरों ने तत्काल उसे अस्पताल पहुंचाया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। हादसे की समाचार मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। श्वेता श्रीवास्तव लखनऊ की एडिशनल एसपी से पहले सीओ गोमती नगर के पद पर तैनात रही थीं। उनके बेटे की मृत्यु की समाचार से पूरे पुलिस महकमे में शोक की लहर फैल गई है। पुलिस ने फरार कार और ड्राइवर की तलाश में टीमें बना दी। कुछ घंटे के अंदर ही सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की वाहन की पहचान कर ली गई।
कानपुर के सराफा व्यवसायी की एसयूवी
पुलिस ने सीसीटीवी से एसयूवी की पहचान की। पता चला कि दुर्घटना महेंद्रा एक्सयूवी 700 से हुआ है। इसके बाद नंबर को ट्रेस किया तो पता चला कि वाहन कानपुर के सराफा व्यवसायी अंशुल की है। अंशुल से पूछताछ हुई तो पता चला कि उनका भतीजा देवश्री के पास लखनऊ में वाहन है। देवश्री से पता चला कि वाहन में वह था जरूर लेकिन उसे उसका दोस्त सार्थक सिंह चला रहा था। सार्थक सिंह एमिटी यूनिवर्सिटी में बीबीए का विद्यार्थी है। पुलिस ने दोनों को अरैस्ट कर लिया औऱ गैर इरादतन मर्डर में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस को पता चला है कि किसी अन्य वाहन से रेस भी लगाया जा रहा था।
पोस्टमार्टम हाउस पर बेसुध दिखीं श्वेता श्रीवास्तव
9 वर्ष के इकलौते बेटे की मृत्यु के बाद से एएसपी श्वेता श्रीवास्तव की हालत खराब है। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचीं श्वेता बेसुध दिखाई दीं। परिवार वाले उन्हें किसी तरह संभालते रहे। उनकी हालत देख हर कोई गमगीन नजर आया। ऐसी कोई स्त्री नहीं थी जिसकी आंखें नम नहीं हों। हर कोई मासूम की मृत्यु के साथ ही श्वेता की हालत से मायूस नजर आया।