उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव 2024 में लेकर भाजपा ने इस बार भी देवरिया से अपनी प्रत्याशी बदला

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में लेकर बीजेपी ने इस बार भी देवरिया से अपनी प्रत्याशी बदल दिया है जहां सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट कर इस बार बीजेपी को पहली बार जीत दिलाने वाले श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी पर भरोसा जताया है वही कांग्रेस-सपा गठबंधन से अखिलेश प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं बीएसपी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं ऐसे में इस बार की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस पार्टी गठबंधन के बीच होती नजर आ रही है यहां सवर्ण मतदाता हमेशा से ही निर्णायक किरदार में रहे हैं

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश बिहार के बार्डर पर स्थित देवरिया लोकसभा सीट सोशलिस्टों और कांग्रेसियों की गढ़ मानी जाती है 90 के दशक में मंडल और कमंडल की टकराहट के बाद यहां से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो गया ब्राह्मण बाहुल्य देवरिया लोकसभा का चुनावी मिजाज इस कदर बदल गया है कि अब यहां लड़ाई बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही सिमटकर रह गई है वही बीजेपी पहली बार यहां 1996 में चुनाव जीती थी एक बार बीएसपी को भी जीत मिली है वही पिछले दो चुनावों से बीजेपी इस सीट पर काबिज है यहां की राजनीति बेरोज़गारी, पलायन और बंद चीनी मिलों को चालू कराने की हैं 2024 की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही बनतीं नजर आ रही है

ऐसे में देवरिया जिला सन् 1946 मे बना पहले गोरखपुर जिले में हुआ करता था लेकिन गोरखपुर के कुछ हिस्सों को लेकर य़ह जिला बना देवरिया पूर्वी यूपी का एक ऐसा जिला है जहां का मतदाता राजनीति के पेंचोखम से न केवल वाकिफ है बल्कि राजनीति में खूब दिलचस्पी भी लेता है इस जिले की एक विशेषता ऐसी है कि यहां सियासी दलों को बारी-बारी से मौका मिलता रहा है 90 के दशक से पहले यहां कांग्रेस पार्टी का दबदबा हुआ करता था लेकिन मंडल-कमंडल के उभार के बाद लड़ाई सपा और बीजेपी के बीच ही सिमट कर रह जाती है. मतदाता, हर चुनाव में अपना मूड बदलते रहते हैं कभी किसी दल को मौका दिया तो कभी किसी और दल को जीत का मजा चखाया यहां के वोटर काफी जागरुक हैं

1984 के बाद कांग्रेस पार्टी का हो गया सफाया

इस सीट का इतिहास देखें तो यहां कांग्रेस पार्टी सर्वाधिक 5 बार चुनाव जीती 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के विश्वनाथ राय यहां से पहले सांसद चुने गए थे वही अंतिम बार 1984 में काग्रेस की जीत हुई थी 90 के दशक में मंडल और कमंडल की लडाई में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदे टूट गई और यहां की लड़ाई बीजेपी समाजवादी पार्टी के बीच सिमट गई है 1984 की बात करे तो कांग्रेस पार्टी को अंतिम बार यहां से जीत मिली थी और राजमंगल पाण्डेय चुनाव जीते थे उसके बाद यह सभी चुनावों में कांग्रेस पार्टी तीसरे जगह पर ही रही 1991 में जनता दल के मोहन सिंह यहां से सांसद बने थे

1996 में पहली बार बीजेपी जीती थी चुनाव

1992 में लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई राम रथ यात्रा के बाद प्रदेश में कमंडल की लहर आई तो देवरिया भी भाजपामय में हो गया 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार यहां से बीजेपी ने अपना परचम लहराया और लेफ्टिनेंट जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी चुनाव जीत कर सांसद बने 1998 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां से जीत हासिल की. वही 1999 में बीजेपी और 2004 में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज किया

2009 में खुला था बीएसपी का खाता

वहीं 2009 के चुनाव में पहली बार यहां बीएसपी का खाता खुला और गोरख जायसवाल सांसद चुने गए 2009 के चुनाव में धनबल का खुला प्रदर्शन हुआ था और गोरख जायसवाल ने मोहन सिंह और जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी जैसे नेताओं को हराकर अप्रत्याशित जीत हासिल की थी 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक की धूम मची और देवरिया में बीजेपी के दिग्गज नेता कलराज मिश्र सांसद चुने गए वही 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी पर दांव लगाया और चुनाव जीते इस बार बीजेपी ने रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट कर पूर्व सांसद जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है

सामान्य वर्ग के वोटर है निर्णायक

लोकसभा 2024 में समाजवादी पार्टी कांग्रेस पार्टी गठबंधन में यह सीट कांग्रेस पार्टी को मिली है. कांग्रेस पार्टी ने यहां से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया जिले की रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक भी रहे हैं. देवरिया लोकसभा सीट पर सामान्य जनसंख्या ही निर्णायक होती है. सामान्य वर्ग के वोटरों की संख्या अधिक है. आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं. सभी चुनावों में यहां से सामान्य वर्ग के लोग ही सांसद चुने गए हैं.

देवरिया से सबको दलों को मिला मौका

देवरिया संसदीय सीट से सभी प्रमुख दलों ने जीत का मजा चखा है जहां 1951 में कांग्रेस पार्टी के विश्वनाथ राय, सरजू प्रसाद मिश्र, 1957 में सोशलिस्ट पार्टी के रामजी वर्मा, 1962, 1967, 1971 में फिर कांग्रेस पार्टी से विश्वनाथ राय, 1977 में जनता पार्टी के उग्रसेन सिंह, 1980 में कांग्रेस पार्टी के रामायण राय, 1984 में कांग्रेस पार्टी के राजमंगल पाण्डेय,1989 में जनता दल से राजमंगल पाण्डेय,1991 में समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह, 1996 में बीजेपी के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, 1998 में समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह, 1999 में फिर बीजेपी के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, 2004 में समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह, 2009 में बीएसपी के गोरख प्रसाद जायसवाल, 2014 में बीजेपी के कलराज मिश्र और 2019 में बीजेपी के रमापति राम त्रिपाठी को इसी जिले के वोटरों ने सांसद बनाया

तीन -चुनाव पर एक नजर

  • 2009–गोरख प्रसाद जायसवाल (बसपा ) 219889 वोट पाकर विजयी हुए थे
  • श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी- (भाजपा) -178110 से पराजित
  • मोहन सिंह (सपा ) से 151389 वोट पाकर पराजित हुए थे

*2014 का चुनाव परिणाम

  • कलराज मिश्र (भाजपा )-496500 विजयी हुए थे
  • नियाज अहमद (बसपा)- 231114 पराजित
  • बालेश्वर यादव (सपा)–150852 पराजित

*2019 का चुनाव परिणाम

  • रमापति राम त्रिपाठी (भाजपा)- 580644 विजयी हुए थे
  • बिनोद कुमार जायसवाल (बसपा)- 330713 पराजित
  • नियाज अहमद (कांग्रेस)- 51056 पराजित

देवरिया सीट पर मुख्य चुनावी मुद्दे—

  • 1 -चीनी मिल चालू करना
  • 2-कृषि यूनिवर्सिटी प्रारम्भ करने की मांग जोरों पर है
  • 3-‘महंगाई
  • 4–भ्रष्टाचार
  • 5–पुरानी पेंशन मामला भी रहेगा
  • 6–बेरोजगारी
  • 8–देवरिया में बाईपास की मांग

देवरिया लोकसभा सीट पर एक नजर

  • कुल मतदाता—…1729583
  • पुरुष मतदाता-954367
  • महिला मतदाता-796570
  • थर्ड जेंडर-96
  • कुल मतदान केंद्र–670
  • मतदेय स्थल–1098

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