लखनऊ नगर निगम ने विदेशी नस्ल के 25 कुत्तों के रखने पर लगाया बैन
लखनऊ नगर निगम ने एक कठोर निर्णय लिया है, जिसके अनुसार लखनऊ में रहने वाले लोग अब विदेशी नस्ल के कुत्ते न तो पाल सकेंगे न ही बेच सकेंगे। बीते कुछ वर्षों में कुत्तों के काटने की भयावह घटनाएं सुर्खियों में रही हैं। अब लखनऊ नगर निगम ने इसके मद्देनजर एक बड़ी पहल की है। नगर निगम ने विदेशी नस्ल के 25 कुत्तों के रखने पर बैन लगा दिया है। इनमें पिटबुल, रॉटविलर, टेरियर, वोल्फ डॉग, जैसे विदेशी नस्ल के पसंदीदा कुत्ते भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि यह प्रतिबंध केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के आदेश पर लगाया गया है। नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डाक्टर अभिनव वर्मा ने कहा कि जिन लोगों ने अपने घरों में प्रतिबंध नस्लों के कुत्ते रखे हैं, अप्रैल से उनका लाइसेंस नहीं बनाया जाएगा। साथ ही इन नस्ल के कुत्तों के प्रजनन पर भी रोक लगाने का सुझाव दिया गया है। इन नस्लों के कुत्तों को पालने वाले मालिक ये कुत्ते तभी अपने पास रख सकेंगे जब वो उनकी नसबंदी का प्रमाण पत्र नगर निगम को देंगे। इसके लिए केवल 31 मार्च तक का ही मौका मिलेगा।
1 अप्रैल से प्रारम्भ होगी कार्रवाई
डॉक्टर अभिनव वर्मा ने कहा कि 1 अप्रैल से प्रतिबंधित कुत्तों को बरामद करने की कार्रवाई नगर निगम की ओर से की जाएगी। कुत्ते को बरामद करने के साथ ही उनके मालिकों पर 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा। नगर निगम के अनुसार शहर में प्रतिबंधित नस्लों के करीब 400 पालतू कुत्ते घरों में हैं। नगर निगम ने चालू वित्तीय साल में कुल 5370 पालतू कुत्तों के लाइसेंस जारी किए हैं। इनमें से 1090 ही देसी नस्ल के हैं। बाकी विदेशी नस्ल के हैं।
इन कुत्तों के पालन लगा प्रतिबंध
डॉ। अभिनव वर्मा ने कहा कि जिन विदेशी नस्लों के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाया गया है उसमें पिटबुल टेरियर, तोसा इनु जापानी, अमेरिकन स्टेफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलिरियो, डोगो अर्जेंटिनो, अमेरिकन बुलडॉग, कांगल शेफर्ड तुर्की नस्ल, सेंट्रल एशियन शेफर्ड डॉग, जिसे अलाबे, अलाबाई और तुर्कमेन वुल्फ-हाउंड के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही रॉटविलर के साथ ही कई दूसरी प्रजातियां इसमें शामिल हैं।
इस तरह होगी कार्रवाई
अभिनव वर्मा ने कहा कि इस कार्रवाई को करना सरल नहीं होगा क्योंकि लोगों के घर-घर जाना उनके कुत्तों की जांच करना थोड़ा मुश्किल साबित होगा। लेकिन इस कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। इसमें पुलिस की सहायता ली जाएगी। सबसे पहले ब्रीडिंग सेंटर पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद घरों में जाकर कार्रवाई करेंगे।