उत्तर प्रदेश

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके काले कारनामों और आतंक की हो रही चर्चा

Mukhtar Ansari Death News: माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी की मृत्यु हो चुकी है. इसके बाद उसके काले कारनामों और आतंक की खूब चर्चा हो रही है. वर्ष 2004 की बात है. मुख्तार अंसारी इंडियन आर्मी की यूनिट से चुराई गई एक लाइट मशीन गन (LMG) खरीदना चाहता था. इसके लिए वह आर्मी के एक भगोड़े से डील करने लगा. दोनों की टेलीफोन पर बात होने लगी. हालांकि, ठीक उसी समय तत्कालीन डीएसपी शैलेंद्र सिंह को मुख्तार पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि 2002 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय ने मुख्तार को चुनाव में मात दी थी. इसके बाद से उनकी जान को खतरा हो गया और गैंगवार की आसार बढ़ गई

डीएसपी शैलेंद्र सिंह को दोनों ही गुट पर नजर रखने की जिम्मेदारी मिली थी. इसलिए वह गवर्नमेंट की अनुमति से मुख्तार अंसारी की फौन टेप करने लगे. एक दिन उन्हें मुख्तार के एलएमजी खरीदने की योजना के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने एमएमजी की रिकवरी कर ली थी. बाद में इस मुद्दे में एफआईआर भी दर्ज की गई. हालांकि, इसके बाद शैलेंद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ गईं. तत्कालीन मुलायम सिंह गवर्नमेंट ने एफआईआर वापस लेने का दबाव बनाया.

शैलेंद्र ने एक साक्षात्कार में बोला था, ”जब रिकवरी हुई तो सबने मुझे शुभकामना थी. लेकिन तब लोगों को मालूम नहीं था कि पोटा लगा हुआ है. लोग सिंपल आर्म्स ऐक्ट में रिकवरी समझ रहे थे. आर्म्स ऐक्ट में जिसके पास हथियार रिकवर होता है, वही गुनेहगार होता है. ऐसे में मुख्तार बच जा रहे थे. लेकिन शाम तक शासन और गवर्नमेंट में बैठे लोगों को पता चला कि पोटा लग गया है. पोटा में जो बात करता है वह भी गुनेहगार हो जाता है. ऐसे में इस मुद्दे में मुख्तार भी लपेटे में आ रहे थे.

दबाव बनाने लगी सरकार
शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि इसके बाद गवर्नमेंट द्वारा दबाव बनाया जाने लगा. बोला गया कि आप इसे तुरन्त वापस ले लीजिए. हमने बोला कि सर एफआईआर दर्ज हो गई है, कोई वापस कैसे ले सकता है? तो फिर बात हुई और लोगों ने बोला कि ठीक है, वापस नहीं हो सकता तो अब इसका नाम मत लीजिए आप. जब दूसरा इन्वेस्टिगेशन अधिकारी जांच करेगा तो नाम मत लीजिएगा मुख्तार का. हमने कहा, सर मैंने वादी बनके उसका नाम लिखाया है, एफआईआर में दर्ज है. मैं अपने ही बयान से पलट जाऊंगा? यह संभव नहीं है.

क्यों खरीदना चाहता था एलएमजी
शैलेंद्र सिंह बताते हैं एलएमजी खरीदने पर मुख्तार के बल के पीछे की सबसे अहम वजह कृष्णानंद ही थे. मुख्तार का बोलना था कि कृष्णानंद की वाहन साधारण रायफल के लिए बुलेट प्रूफ है, लेकिन एलएमजी उसको भेद देगी और वह कृष्णानंद को मार देंगे. इसलिए मुख्तार एलएमजी खरीदने को लेकर उत्सुक थे. शैलेंद्र के अनुसार यह सारी बातें रिकॉर्डिंग में हैं. इसके बाद इसे मुकदमा डायरी में भी दर्ज किया गया. लेकिन बाद में जब मुलायम ने पोटा हटा दिया तो मुख्तार का यह बयान दर्ज कराया गया कि हम लोग तो उसे पकड़वाने के लिए कह रहे थे. जबकि जिस तरह से बातें हो रही थीं, उसमें सीधा-सीधा बोला जा रहा था कि हमें किसी भी मूल्य पर चाहिए.

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