उत्तर प्रदेश
क्या है ददुआ के भाई का मामला, कोर्ट ने कहा तीन माह बाद आएं
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल उर्फ राज कुमार की जमानत अर्जी खारिज कर दी। ददुआ के भाई बाल कुमार पर फर्जीवाड़ा से बालू खनन ठेका करार के नाम पर झांसा देकर 65 लाख रूपए हड़पने के मुद्दे में मुकदमा दर्ज हुआ था। बाल कुमार पटेल ने इस मुद्दे में उच्च न्यायालय में जमानत के लिए गुहार लगाई थी।
सुनवाई पर न्यायालय ने बोला कि आरोपित को कड़ा दंड देने के लिए इल्जाम गंभीर हैं। हालांकि न्यायालय ने इस मुद्दे में उन्हें कुछ राहत दते हुए आदेश दिया कि वैसे सह अभियुक्तों का बयान दर्ज नहीं है, ऐसे में बयानों को दर्ज करने पर तीन माह बाद दूसरी जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं। यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह ने बाल कुमार पटेल की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया। अब तीन माह बाद नयी अर्जी पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस मुद्दे में सुनवाई कर सकता है।
क्या है ददुआ के भाई का मामला
बांदा कोतवाली रमाकांत त्रिपाठी ने बाल कुमार पटेल पर मुकदमा दर्ज कराया था। इल्जाम है कि सह अभियुक्त भानु प्रताप चतुर्वेदी 11अक्टूबर 20 को शिकायतकर्ता रमाकांत के घर आए और बोला कि उसके पास बालू खनन का करार है। एक बार रुपये निवेश करने पर भविष्य में फायदा ही फायदा होगा। खनन करार में उसे 10 प्रतिशत का भागीदार बनाए जाने का वादा किया।
सिंचाई विभाग के बंगले मिले थे बाल कुमार
शिकायतकर्ता को सिंचाई विभाग के बंगले में ले जाया गया जहां उसकी मुलाकात पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल से हुई। करार के आश्वासन पर शिकायतकर्ता ने बाल कुमार पटेल के खाते में 20 दिसंबर 17 को पांच लाख जमा किए। इसके बाद बोला बालू अधिक है,अधिक लोग जुड़ेंगे। कुछ लोगों से भी लाखों जमा कराए गए। इसके बाद शिकायतकर्ता से 60 लाख और जमा कराए गए। अंत में कोई लाभ नहीं मिला तो शिकायतकर्ता ने रुपये वापस मांगे। रुपये न मिलने पर मजिस्ट्रेट की न्यायालय में अर्जी देकर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस इस मुद्दे में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। न्यायालय ने बोला याची के विरुद्ध 27 आपराधिक केसों का इतिहास है। वह ट्रायल में योगदान नहीं कर रहा। गैर जमानती वारंट के बाद पेश हुए। उच्च न्यायालय ने बोला कि काफी समय बीत चुका है और इल्जाम गंभीर है, ऐसे में जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।
क्या है ददुआ के भाई का मामला
बांदा कोतवाली रमाकांत त्रिपाठी ने बाल कुमार पटेल पर मुकदमा दर्ज कराया था। इल्जाम है कि सह अभियुक्त भानु प्रताप चतुर्वेदी 11अक्टूबर 20 को शिकायतकर्ता रमाकांत के घर आए और बोला कि उसके पास बालू खनन का करार है। एक बार रुपये निवेश करने पर भविष्य में फायदा ही फायदा होगा। खनन करार में उसे 10 प्रतिशत का भागीदार बनाए जाने का वादा किया।
सिंचाई विभाग के बंगले मिले थे बाल कुमार
शिकायतकर्ता को सिंचाई विभाग के बंगले में ले जाया गया जहां उसकी मुलाकात पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल से हुई। करार के आश्वासन पर शिकायतकर्ता ने बाल कुमार पटेल के खाते में 20 दिसंबर 17 को पांच लाख जमा किए। इसके बाद बोला बालू अधिक है,अधिक लोग जुड़ेंगे। कुछ लोगों से भी लाखों जमा कराए गए। इसके बाद शिकायतकर्ता से 60 लाख और जमा कराए गए। अंत में कोई लाभ नहीं मिला तो शिकायतकर्ता ने रुपये वापस मांगे। रुपये न मिलने पर मजिस्ट्रेट की न्यायालय में अर्जी देकर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस इस मुद्दे में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। न्यायालय ने बोला याची के विरुद्ध 27 आपराधिक केसों का इतिहास है। वह ट्रायल में योगदान नहीं कर रहा। गैर जमानती वारंट के बाद पेश हुए। उच्च न्यायालय ने बोला कि काफी समय बीत चुका है और इल्जाम गंभीर है, ऐसे में जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।