कानपुर कृषि विवि में फर्जी भर्ती करने का आरोप: प्रबंध मंडल के सदस्य बोले…
कानपुर में चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक यूनिवर्सिटी के व्यवस्था मण्ड़ल ने प्रेस वार्ता करके कुलपति पर गंभीर इल्जाम लगाए हैं. बोला कि संस्था के पादप बीमारी विज्ञान विभाग के डॉ समीर कुमार बिस्वास ने प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष की दो बार अनियमित भर्ती करवाई. इसकी कम्पलेन शासन में भी की जा चुकी है. शासन के द्वारा कार्रवाई के लिए निर्देश दिया जा चुका है, इसके बावजूद कुलपति कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं .
सीएसए व्यवस्था मंडल के सदस्य संत्यनारायण शुक्ला ने कहा की चंद्रशेखर आजाद प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी में डा बिस्वास को 2002 में सहायक प्राध्यापक और 2008 में सह प्राध्यापक पद के लिए अनुसूचित जाति जनजाति उम्मीदवारों के लिए आरक्षित श्रेणी में पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दो-दो बार आरक्षण का फायदा दिया गया है. इसकी कम्पलेन लगातार की गई, जबकि उप्र लोक सेवा के अधिनियम 1994 के मुताबिक अन्य राज्यों के एस सी-एस टी समुदाय के लोगों को उप्र के इन पदों पर भर्ती नहीं की जा सकती है.
यह फैसला सर्वोच्च कोर्ट के निर्णयों अनुसूचित जाति आदेश 1950 एवं केंद्र गवर्नमेंट के आदेश 1975, 1984, 1985 और 2018 का खुलेआम उल्लंघन करके किया गया. उन्होंने कहा कि कई एससी-एसटी उम्मीदवारों ने मुझसे कम्पलेन की, तब मैंने संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नयी दिल्ली में आरटीआई दाखिल कर डा बिस्वास की फ़र्ज़ी भर्ती की पूरी जानकारी दी. सम्बन्धित डॉक्यूमेंट्स एकत्र किए. उन सभी दस्तावेजों को प्रधानमंत्री, गवर्नर उप्र के मुख्यमंत्री, राज्य और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य और केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राज्य और केंद्रीय वित्त मंत्रालय, मुख्य सचिव, कुलपति कानपुर को लगभग 1000 रजिस्ट्रियां भेजीं.
उन्होंने कहा कि पिछले 12 महीनों में पर्सनल रूप से तीन कुलपतियों से मुलाकात कर इस फर्जी भर्ती मुद्दे में डॉ बिस्वास पर कार्रवाई करने का निवेदन किया गया, परन्तु कुलपति द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.