‘ऐरे-गैरे नहीं पूर्व उप राष्ट्रपति, गवर्नर और जज के परिवार से हूं’, SC में इस वजह से मुख्तार अंसारी ने दी थी ये दलील
बात 2021 की है. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को लेकर पंजाब और यूपी की सरकारें उच्चतम न्यायालय में आमने-सामने आ गई थीं. दरअसल, उस समय मुख्तार अंसारी बसपा का विधायक था और जबरन वसूली के एक मुद्दे में पंजाब की रोपड़ कारावास में बंद था. यूपी की योगी आदित्यनाथ गवर्नमेंट मऊ, वाराणसी और गाजीपुर में दर्ज दर्जनों मामलों में मुख्तार अंसारी का ट्रायल कराना चाहती थी लेकिन पंजाब पुलिस इस तर्क पर उसे उत्तर प्रदेश भेजने को तैयार नहीं थी कि मुख्तार अंसारी का स्वास्थ्य इस लायक नहीं है कि उसे उत्तर प्रदेश तक भेजा जाय.
जब दोनों राज्य सरकारों के बीच मुख्तार को लेकर सहमति नहीं बनी, तब उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने डॉन की कस्टडी लेने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी. पंजाब की तत्कालीन अमरिंदर सिंह गवर्नमेंट ने इस मुद्दे में एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें बोला गया था कि मुख्तार अंसारी को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज समेत कई बीमारियां हैं. इस वजह से डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की राय दी है और उन्हें अभी उत्तर प्रदेश नहीं भेजा जा सकता. इस मुद्दे में तब उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जबकि पंजाब गवर्नमेंट की तरफ से मुकुल रोहतगी ने जिरह की थी.
इस अर्जी पर मुख्तार अंसारी की तरफ से भी उच्चतम न्यायालय में हलफनामा पेश किया गया था, जिसमें मुख्तार अंसारी ने ना केवल उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की अर्जी का विरोध किया था बल्कि इल्जाम लगाया था कि योगी गवर्नमेंट एक प्रायोजित एनकाउंटर में उसे मारने की षड्यंत्र रच रही है. अपने हलफनामे में तब मुख्तार ने अपने परिवार के गौरवशाली अतीत का भी हवाला दिया था और बोला था कि वह उस परिवार का हिस्सा हैं, जिसने हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय सहयोग दिया है. इसके अतिरिक्त पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जैसे नेता उसके परिवार के अंग हैं.
मुख्तार अंसारी ने अपने हलफनामे में तब बोला था कि योगी गवर्नमेंट में उसकी जान को खतरा है और उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की अर्जी उसकी मृत्यु का वारंट मांगने के लिए है. अंसारी ने अपनी वंशावली का उल्लेख करते हुए तब बोला था, “वह उस परिवार का हिस्सा हैं, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा सहयोग दिया है. हिंदुस्तान को मुहम्मद हामिद अंसारी के रूप में उप राष्ट्रपति दिया है. शौकतुल्ला अंसारी के रूप में ओडिशा को एक गवर्नर और न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को एक न्यायधीश दिया है.” अंसारी ने हलफनामे में अपने पिता सुभानुल्लाह अंसारी का भी जिक्र किया था जो एक स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे.
मुख्तार अंसारी ने तब उच्चतम न्यायालय से वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए ट्रायल की इजाजत देने की मांग की थी और बोला था कि उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है,क्योंकि बीजेपी नेताओं और राज्य गवर्नमेंट की मिलीभगत से उसकी जीवन को वहां खतरा है. अंसारी ने बार-बार बल देकर बोला था कि उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट उसकी पर्सनल हिरासत सिर्फ़ उसे मारने के इरादे से मांग रही है. इस मुद्दे में बाद में उच्चतम न्यायालय ने मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की कारावास में शिफ्ट कराने का आदेश दिया था.