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‘खिचड़ी घोटाला’ में क्यों आया शिंदे गुट के नेता का नाम…

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना (एकनाथ शिंदे) में एक पार्टी सचिव, संजय माशिलकर एक नए टकराव में आ गए हैं कि अप्रैल-जुलाई 2020 में Covid-19 लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को खिचड़ी वितरित करने के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा 8.64 करोड़ रुपये का ठेका देने में कथित अनियमितताओं के लिए मुंबई पुलिस ने फोर्स वन मल्टी सर्विसेज नामक कंपनी के विरुद्ध मुद्दा दर्ज किया था भारतीय एक्सप्रेस ने सूचना के अधिकार (RTI) के अनुसार एक इंक्वायरी डाली थी इसी के अनुसार यह खुलासा हुआ है

 

मुंबई पुलिस ने अपनी एफआईआर में कंपनी के भागीदारों का उल्लेख नहीं किया था, द भारतीय एक्सप्रेस द्वारा बीएमसी के साथ दाखिल एक आरटीआई आवेदन से पता चला कि माशिलकर अपने बेटों – प्रीतम और प्रांजल – के साथ भागीदार के रूप में फर्म के मालिक थे कथित वित्तीय हेराफेरी से जुड़े इस मुकदमा को ‘खिचड़ी घोटाला’ खिचड़ी भ्रष्टाचार बोला जा रहा है माशिलकर पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना से जुड़े थे, जहां 13 वर्ष तक पार्टी की भांडुप इकाई का नेतृत्व करने के बाद उन्हें उप सचिव बना दिया गया था वह पिछले वर्ष जून में शिंदे सेना गुट में शामिल हो गए, जब शिंदे पार्टी से बाहर चले गए, जिससे उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गवर्नमेंट गिर गई

यह पहली बार नहीं है कि माशिलकर गलत कारणों से खबरों में आए हैं इस वर्ष जून में उन पर कथित तौर पर उद्धव सेना के प्रवक्ता आनंद दुबे को जान से मारने की धमकी देने का इल्जाम लगा था मुद्दे के संबंध में माशिलकर के विरुद्ध समारा नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी दुबे ने पुलिस को दी अपनी कम्पलेन में बोला था कि उन्हें 7 जून को एक टेलीविजन बहस में शामिल होने के लिए माशिलकर का टेलीफोन आया था उन्होंने इल्जाम लगाया कि शिंदे सेना नेता ने उन्हें “ज्यादा बात न करने और अपनी सीमा में रहने” के लिए बोला और धमकी दी कि यदि उन्होंने बताए मुताबिक नहीं किया तो उन्हें “गोली मार दी जाएगी”

 

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