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उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा अवैध नियुक्तियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा…

कोलकाता, 1कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा गैरकानूनी नियुक्तियों से जुड़े एक मुद्दे की सुनवाई करते हुए सोमवार को बोला कि सेवा में कार्यकाल किसी “अवैध” नियुक्ति को वैध नहीं बना सकता

सुप्रीम न्यायालय के एक निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल में स्कूल-नौकरी के लिए करोड़ों रुपये के नकद मामलों से संबंधित मामलों की विशेष रूप से सुनवाई के लिए गठित न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीद की एक विशेष खंडपीठ ने बोला कि वास्तव में ऐसा नहीं होता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई आदमी उस संस्था के साथ कितने समय से काम कर रहा है

न्यायमूर्ति बसाक ने कहा, “मुख्य प्रश्न यह है कि उनकी नियुक्ति कानूनी थी या नहीं

इस मुद्दे पर खंडपीठ ने उन लोगों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त पदों के सृजन की अपील के औचित्य पर भी प्रश्न उठाया, जो लगातार अवधि के लिए राज्य संचालित विद्यालय में काम कर रहे थे

यह आवेदन गैरकानूनी रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवाओं को खत्म करने पर न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ के निर्णय को चुनौती देते हुए दाखिल किया गया था

डिवीजन बेंच ने सेवा धारकों के एक वर्ग द्वारा स्कूल-नौकरी मामलों में नियुक्ति के लिए पहले के पैनल में मेरिट सूचियों के नए प्रकाशन के विरोध पर भी कुछ प्रश्न उठाए

न्यायमूर्ति बसाक ने कहा, “जब कोई प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाती है, तो यह सभी को पता होता है कि परीक्षा में उत्तीर्ण होने वालों की योग्यता सूची प्रकाशित की जाएगी योग्यता सूची के प्रकाशन से प्रतिष्ठा के हानि का कोई प्रश्न ही नहीं है

पीठ ने यह भी बोला कि डब्ल्यूबीएसएससी को गैरकानूनी रूप से भर्ती किए गए लोगों की पहचान बहुत पहले ही कर लेनी चाहिए थी

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