15 दिन में लागू होगा फैसला, इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में बांग्ला दूसरी अनिवार्य भाषा
कोलकाता में आप बंगाली को पहली भाषा के रूप में चुन सकते हैं। दार्जिलिंग पहाड़ियों में आप चाहें तो नेपाली को पहली भाषा के रूप में चुन सकते हैं। राज्य के कुछ क्षेत्रों में, एक विद्यार्थी अलचिकी या राजबंशी को पहली भाषा के रूप में चुन सकता है। आप पहली भाषा के रूप में उर्दू को भी चुन सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने घोषणा की है कि विद्यार्थियों को अपनी पहली भाषा चुनने की आजादी है और राज्य गवर्नमेंट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। बसु ने बोला कि एक विद्यार्थी पहली भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र है। कोलकाता में आप बंगाली को पहली भाषा के रूप में चुन सकते हैं। दार्जिलिंग पहाड़ियों में आप चाहें तो नेपाली को पहली भाषा के रूप में चुन सकते हैं। राज्य के कुछ क्षेत्रों में, एक विद्यार्थी अलचिकी या राजबंशी को पहली भाषा के रूप में चुन सकता है। आप पहली भाषा के रूप में उर्दू को भी चुन सकते हैं।
उन्होंने बोला कि उन्होंने यह भी बोला कि राज्य बंगाली को दूसरी भाषा के रूप में लागू नहीं करेगा, और दूसरी और तीसरी भाषा विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जनसंख्या पैटर्न और जातीय प्रोफ़ाइल पर निर्भर करेगी। दूसरी और तीसरी भाषाएँ पूरी तरह से जनसंख्या के पैटर्न और जनसांख्यिकीय कारकों द्वारा संचालित उसकी जातीयता पर निर्भर होंगी। हम जल्द ही संपूर्ण नीति अनुशंसाएं आधिकारिक वेबसाइट पर डाल देंगे।
एक अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट की नयी शिक्षा नीति के अनुसार, कक्षा 5-8 के विद्यार्थियों को अहमियत वाली भाषा के रूप में बंगाली के साथ तीन भाषाएँ सीखनी होंगी। तीसरी भाषा क्षेत्रीय या क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ विदेशी भाषा भी हो सकती है, लेकिन अहमियत बंगाली, संस्कृत या हिंदी को दी जा सकती है। मुख्य विचार पश्चिम बंगाल में युवाओं को बंगाली सिखाना है।