प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा विधानसभा कमेटी का अध्यक्ष चुना गया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज सुबह गवर्नर राजेंद्र आर्लेकर से मुलाकात की और पटना में गवर्नर हाउस में अपना त्याग-पत्र सौंप दिया। बाद में गवर्नर हाउस के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”आज मैंने बिहार के सीएम पद से त्याग-पत्र दे दिया है। मैंने गवर्नर से कैबिनेट भंग करने की भी सिफारिश की है। इण्डिया एलायंस में चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।” आहत हुआ हूं। इसलिए, मैंने इण्डिया अलायंस छोड़ दिया है।”
इस बीच पटना में भाजपा विधायकों की मंत्रणा बैठक हुई। इसमें प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को पार्टी विधान समिति का अध्यक्ष चुना गया। विजय कुमार सिन्हा उपाध्यक्ष चुने गये। बाद में मीडिया से बात करते हुए सम्राट चौधरी ने कहा, ”मुझे भाजपा विधान समिति का नेता चुना गया है। इसके लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी नेताओं का आभारी हूं।
बीजेपी ने एक मेरे जीवन का ऐतिहासिक क्षण। पार्टी के विधानमंडल के नेता के रूप में चुना जाना और गवर्नमेंट में किरदार निभाना एक बहुत बढ़िया एहसास है। “2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में लोगों का निर्णय राज्य के विकास के लिए है। उन्होंने कहा, “लालू यादव के आतंकवाद का आज अंत हो गया है। सीएम नीतीश कुमार के उस प्रस्ताव के बाद यह निर्णय लिया गया है कि बिहार में अत्याचार का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए।”
इसके बाद बोलते हुए पार्टी विधान समिति के अध्यक्ष और अब उपाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बोला कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के आभारी हैं। बिहार में इन घटनाक्रमों से पुष्टि होती है कि नीतीश कुमार की यूनाइटेड जनता दल और बीजेपी नयी गवर्नमेंट बनाएगी। बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और यूनाइटेड जनता दल वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत के बाद नीतीश कुमार सीएम बने। इसके बाद 2022 में भाजपा से असंतोष के चलते उन्होंने एनडीए छोड़ दिया।
उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी के मेगा गठबंधन से बिहार में नयी गवर्नमेंट बनाई। आनें वाले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट कर पीएम मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को हराकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख किरदार निभाना चाहते थे। कई विपक्षी नेताओं के प्रयासों से इण्डिया अलायंस का गठन किया गया था। गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीतियों पर कई राज्यों में बैठकें कीं। मार्क्सवादी नेता सीताराम येचुरी ने हाल ही में दिल्ली में एक बैठक में इण्डिया अलायंस के संयोजक के तौर पर नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित किया था।
जहां लालू और सरथ पवार सहित नेता इस पर सहमत हुए, वहीं राहुल गांधी ने अचानक बीच में आकर बोला कि वह पश्चिम बंगाल की सीएम ममता से पूछ सकते हैं और इस संबंध में फैसला ले सकते हैं। इससे नाराज नीतीश कुमार ने बोला कि उन्हें हिंदुस्तान गठबंधन में कोई पद नहीं चाहिए। इसके बाद हाल ही में नीतीश कुमार ने अखिल भारतीय नेताओं, ममता, अरविंद केजरीवाल और लालू की निंदा की थी। ऐसे में केंद्र गवर्नमेंट ने बिहार के 2 बार सीएम रहे गढ़भुरी ठाकुर को हिंदुस्तान रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की। बिहार में हर वर्ग के लोग उन्हें जननायक के रूप में जानते हैं।
पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं ने नीतीश कुमार से आग्रह किया कि यूनाइटेड जनता दल के भविष्य के लिए यह अच्छा होगा कि वह हिंदुस्तान गठबंधन छोड़ कर बीजेपी गठबंधन में फिर से शामिल हो जाए क्योंकि बीजेपी की सभी बाद की गतिविधियाँ लोगों के वोट बैंक को आकर्षित करेंगी। | इसके साथ ही नीतीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से बिहार में नयी गवर्नमेंट बनाने का निर्णय किया है। कहा जा रहा है कि उनके मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय जनता दल के मंत्रियों को हटाकर भाजपा विधायकों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
इस बीच कल बिहार में भाजपा विधायकों की बैठक हुई। यह भी खुलासा हुआ कि भाजपा विधायकों की ओर से नीतीश कुमार के समर्थन वाले पत्र मिले थे और उन्हें सीएम नीतीश कुमार को भेजा गया था। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, ”राजनीति में कोई भी दरवाजा बंद नहीं होता। आवश्यकता पड़ने पर इसे खोला जाएगा।”