सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए रात को पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन वाली रोटी भेजी
आखिरकार निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में 10 दिन से अधिक समय से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार करने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन द्वारा फिर से ड्रिलिंग फिर प्रारम्भ होने से बचाव अभियान में तेजी आ गयी है। इसके पहले टनल के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जगह की पहचान कर ली गई। इस मामले में जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने कहा कि 800 एमएम व्यास के पाइप को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। अगले 24 घंटे बहुत अहम हैं। यदि सबकुछ ठीक रहा तो दो दिनों में मजदूर बाहर आ जाएंगे।
वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू
घटना मामले में BRO के मेजर नमन नरूला ने बोला कि, “वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए हमें एक्सेस सड़क बनाना था जिसमें हमें 1150 मीटर का ट्रैक बनाना था जो कि हमने 20 तारीख को बना दिया था। इस ट्रैक के आखिरी छोर पर दो वर्टिकल ड्रिलिंग होने हैं जिसके लिए दो ड्रिलिंग मशीन पहुंचनी थी जिसमें से एक पहुंच चुकी है।हमें एक और एक्सेस सड़क बड़कोट से बनानी थी जो टनल का दूसरा साइड है उसका सर्वे हमारा कल पूरा हुआ है। हमारी मशीनरी वहां पहुंच चुकी है ताकि यदि आवश्यकता पड़ी तो हम वहां पर आज से काम प्रारम्भ कर सके।”
मिशन जल्द होगा सफल
जानकारी दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए चलाए जा रहे अभियान के अनुसार ड्रिलिंग फिर से प्रारम्भ हो गई है। ऑफिसरों ने कहा कि ड्रिलिंग के जरिए पाइप 32 मीटर अंदर तक पहुंच गई है। इसके साथ ही पीएम कार्यालय के पूर्व सलाहकार मीडिया खुल्बे ने बोला कि ,” यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि क्षैतिज पाइपलाइन सुरंग के अंदर से 39 मीटर पाइपलाइन ड्रिल की गई है। सब कुछ अच्छा चल रहा है, मैंने उनसे बात की और हर कोई उत्साहित था। आशा करते हैं कि हम इसे हासिल करने में सक्षम होंगे।”
खाने में भेजा गया पनीर-पुलाव
मिली जानकारी के मुताबिक सुरंग में फंसे श्रमिकों को पाइप के जरिए रात को पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन वाली रोटी भेजी गई थी। इस खाने को चिकित्सक की देखरेख में तैयार किया गया था। इस बात की जानकारी रसोइया संजीत राणा ने दी है। उन्होंने कहा कि कम ऑयल और मसालों के साथ तैयार ये खाना तैयार किया गया था। श्रमिकों को कुल 150 पैकेट खाना भेजा गया था। दिन में उन्हें फल भेजे गए थे। बता दें की 12 नवंबर को 4 किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें मलबे के दूसरी ओर मजदूर फंस गए थे।