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Politics: तेलंगाना में TDP का हुआ बुरा हाल

लोकसभा चुनाव प्रारम्भ होने में कुछ ही दिन बचे हैं. सभी सियासी दल बढ़चढ़कर तैयारियों में लगे हुए हैं. अदला-बदली और समर्थन का खेल जारी है. इस बीच जानकारी सामने आई है कि तेलंगाना में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है. टीडीपी के एक वरिष्ठ नेता का बोलना है कि अभी पार्टी ने यह तय नहीं किया है कि राज्य में किसे समर्थन देना है. बता दें, पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में टीडीपी एनडीए का हिस्सा है.

 

राजनीतिक पारी फिर से प्रारम्भ करेगी टीडीपी

 

टीडीपी प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनगरी ने बोला कि टीडीपी जून या जुलाई में होने वाले क्षेत्रीय निकाय चुनाव लड़कर अपनी सियासी पारी फिर से प्रारम्भ करेगी. उन्होंने कहा, ‘हालांकि हम एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन हम तेलंगाना में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. तेलंगाना में आनें वाले चुनावों में किसे समर्थन देना है, इसका निर्णय पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व करेगा. अभी तक इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया है.

खराब दौर से गुजर रही

 

पिछले कुछ वर्षों से तेलुगू देशम पार्टी खराब दौर से गुजर रही है. टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा करप्शन के एक मुद्दे में अरैस्ट किए जाने के बाद पार्टी की हालत अधिक खराब हो गई. नायडू की गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने पिछले वर्ष 30 नवंबर को तेलंगाना में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया. इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कसनाई ज्ञानेश्वर ने टीडीपी का साथ छोड़ दिया और चुनाव से पहले हिंदुस्तान देश समिति (बीआरएस) में शामिल हो गए.

 

 

टीडीपी ने पिछले वर्ष नहीं लड़ा था चुनाव

 

तब से, तेलंगाना में पार्टी नेतृत्वहीन हो गई है. कई नेता और कार्यकर्ता त्याग-पत्र दे चुके हैं. तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनावों में दो सीटें जीतने वाली टीडीपी को 3.51 फीसदी वोट मिले थे. तब उसने कांग्रेस पार्टी और भाकपा के साथ समझौता किया था. चूंकि टीडीपी ने पिछले वर्ष चुनाव नहीं लड़ा था, इसलिए अन्य दलों ने उसके नेताओं को लुभाया और विधानसभा चुनावों में अपना वोट डाला.

 

 

एक प्रश्न के उत्तर में तिरुनगरी ने बोला कि इस बारे में कोई आधिकारिक निर्देश नहीं दिया गया था कि तेलंगाना में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में किसका समर्थन करना है. समर्थन का विकल्प क्षेत्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया गया था और उन्होंने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक फैसला लिए थे.

 

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