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Mukhtar Ansari की क्राइम हिस्ट्री! अपराध की दुनिया से राजनीति में रखा कदम

पूर्वी यूपी के जिलों में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी की बृहस्पतिवार को बांदा के एक हॉस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. अंसारी की मौत के साथ ही क्राइम के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया. यह इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि अंसारी के विरुद्ध मर्डर से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मुद्दे दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न सियासी दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया. वर्ष 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में स्वयं को और अपने रैकेट को स्थापित करने के लिए क्राइम की दुनिया में प्रवेश किया.

मुख्तार अंसारी-अपराध की दुनिया से राजनीति में रखा कदम 

2005 से कारावास में बंद गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी को 65 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ा, जिनमें से अधिकतर हत्या, जबरन वसूली और असामाजिक गतिविधियों के लिए थे, जो यूपी और दिल्ली के कई जिलों में दर्ज किए गए थे. उनमें से पच्चीस तब दाखिल किए गए जब वह कारावास में था. गुरुवार को जब मऊ सदर से पांच बार के पूर्व विधायक 63 वर्षीय की मौत हुई, तो उनके विरुद्ध 21 मुद्दे लंबित थे, जिससे पता चलता है कि वह किस हद तक कानूनी उलझनों में फंसे हुए थे. उन्हें यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा आठ मामलों में गुनेहगार ठहराया गया था.

 

 

मुख्तार अंसारी की क्राइम हिस्ट्री

पहली सजा सितंबर 2022 में हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें बरी करने के ट्रायल न्यायालय के आदेश को पलट दिया और मुख्तार अंसारी को 19 वर्ष पुराने मुद्दे में सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई, जहां उन्हें धमकी देने और रिवॉल्वर तानने का गुनेहगार पाया गया था. लखनऊ जिला जेलर जहां उन्हें 2003 में रखा गया था. अंसारी पर 37,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.

नवीनतम मुद्दा जिसमें मुख्तार अंसारी को गुनेहगार ठहराया गया था, वह 1990 में हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल से संबंधित था. वाराणसी की एक न्यायालय ने इस महीने की आरंभ में उन्हें जीवन भर जेल की सजा सुनाई थी.

मुख्तार अंसारी के विरुद्ध प्रमुख मामलों में नवंबर 2005 में गाजीपुर जिले के भावरकोल क्षेत्र में हुई बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य की मर्डर शामिल थी. मुख्तार अंसारी पर उनके भाई अफजल और पांच अन्य लोगों के साथ मुद्दा दर्ज किया गया था.

हाई न्यायालय के निर्देश पर मुद्दे की जांच CBI से की गयी 2019 में, दिल्ली की एक विशेष CBI न्यायालय ने अफजल, मुख्तार अंसारी और पांच अन्य को मर्डर के मुद्दे में बरी कर दिया. राय के बेटे ने बरी किए जाने के विरुद्ध अपील दाखिल की, जो दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है.

पिछले वर्ष जून में वाराणसी की एक न्यायालय ने 1991 में क्षेत्रीय राजनेता अवधेश राय की मर्डर के लिए मुख्तार अंसारी को जीवन भर जेल की सजा सुनाई थी. 30 वर्षीय व्यवसायी अवधेश राय कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई थे.

पिछले वर्ष दिसंबर में, मुख्तार अंसारी को वाराणसी की एक न्यायालय ने एक व्यवसायी, महावीर प्रसाद रूंगटा, जो अपने भाई की मर्डर के मुद्दे में गवाह था, को धमकी देने के 26 वर्ष पुराने मुद्दे में पांच वर्ष और छह महीने कारावास की सजा सुनाई थी. मुख्तार अंसारी जनवरी 1997 में वाराणसी में कोयला व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा उर्फ ​​नंदू बाबू के किडनैपिंग और मर्डर में भी आरोपी हैं. केस अभी भी लंबित है.

दो वर्ष पहले, मुख्तार अंसारी पर एक एम्बुलेंस को दर्ज़ करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के इल्जाम में मुद्दा दर्ज किया गया था, जिसका इस्तेमाल उन्हें कारावास से पंजाब के मोहाली की एक न्यायालय में ले जाने के लिए किया गया था, जहां उन्हें रखा गया था. यूपी पुलिस ने यह मुद्दा तब दर्ज किया जब यह बात सामने आई कि मुख्तार अंसारी को ले जाने के लिए इस्तेमाल किए गए गाड़ी का पंजीकरण नंबर यूपी के बाराबंकी का है.

प्रारंभिक जांच में, पुलिस ने पाया कि एम्बुलेंस के पंजीकरण के लिए जमा किए गए मतदाता आईडी प्रूफ और पैन कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स नकली थे. मुख्तार अंसारी और उनके सहयोगियों के विरुद्ध 2 अप्रैल, 2022 को बाराबंकी में मुद्दा दर्ज किया गया था. पुलिस ने मुद्दे में उनके विरुद्ध इल्जाम पत्र दाखिल किया है.

अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट के अनुसार मुख्तार अंसारी जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 तक दो वर्ष से अधिक समय तक रोपड़ कारावास में थे. यूपी की बांदा कारावास से, जहां अंसारी उस समय बंद था, कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये के लिए मोहाली स्थित एक रियाल्टार को कॉल किए जाने के बाद उसे ट्रांजिट रिमांड पर पंजाब लाया गया था.

अप्रैल 2021 में, जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में यह कहते हुए याचिका दाखिल की कि पंजाब “शर्मनाक ढंग से” अंसारी को बनाए रख रहा है, तो अंततः उसे वापस बांदा कारावास में स्थानांतरित कर दिया गया.

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