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पुर्तगाली शासन को देश से भागने का पढ़े दिलचप्स किस्सा

Goa Liberation Day: 19 दिसंबर 1961 की तारीख भारतीय इतिहास के लिए अहम है इसी दिन गोवा को पुर्तगालियों से आजादी मिली थी पुर्तगाली शासन के चार शताब्दियों से अधिक समय तक रहकर राष्ट्र से बाहर भागने का किस्सा दिलचस्प है हिंदुस्तान को अंग्रेजों से आजादी भले ही 15 अगस्त 1947 को मिली लेकिन, गोवा को आजाद कराने में 14 वर्ष और लग गए इसके लिए भारतीय जवानों ने ऑपरेशन गोवा चलाया था जिन पुर्तगालियों ने  451 वर्ष तक गोवा पर राज किया, भारतीय वीरों को उसे आजाद कराने में महज दो दिन लगे लेकिन, यह इतना भी सरल नहीं था पुर्तगाल ने हिंदुस्तान के विरुद्ध यूएन में चुनौती पेश की थी, जिसका अमेरिका, चीन और ब्रिटेन तक ने समर्थन किया लेकिन, तब हिंदुस्तान के लिए सोवियत रूस ऐसा दोस्त बनकर आया जिसने जीत दिलाकर ही दम लिया

17 से 19 दिसंबर 1961 तक दो दिन के भीतर भारतीय जवानों ने गोवा को पुतर्गालियों के शासन से मुक्त कराया गोवा की मुक्ति के बाद कई घटनाएं भी हुईं, जिन्होंने हिंदुस्तान और पुर्तगाल के बीच संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया था  भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के 14 वर्ष बाद गोवा मिल पाया था 19 दिसंबर को गोवा की मुक्ति की 62वीं वर्षगांठ है

भारत की सेना कार्रवाई और गोवावासियों को गुलामी से आजाद करने के बावजूद पुर्तगाल ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और सेना मोर्चे में करारी शिकस्त खाने के बाद यूएन का रुख किया पुर्तगाल ने गोवा में हिंदुस्तान की संप्रभुता को मान्यता देने से इनकार करते हुए इसे संयुक्त देश में चुनौती दी तब संयुक्त देश में पश्चिमी शक्तियों का बोलबाला था हिंदुस्तान को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन, इस बीच हिंदुस्तान को सोवियत संघ के रूप में एक दोस्त मिला, जिसने हिंदुस्तान की कठिन राह को सरल बनाया

1940 के दशक में जब हिंदुस्तान अपनी स्वतंत्रता के करीब पहुंचा तो गोवा की आजादी के लिए संघर्ष तेज हो गया था हालांकि, गोवा पुर्तगालियों का गढ़ बना रहा जिसके बाद पुर्तगालियों की कमर तोड़ने के लिए 1955 में हिंदुस्तान ने गोवा में आर्थिक नाकेबंदी लगा दी तनाव तब और बढ़ गया जब पुर्तगाली सेना ने मछली पकड़ने वाले भारतीय जहाजों पर गोलीबारी की इस घटना में कई लोग घायल हुए पुर्तगालियों के इस आक्रामक रुख ने हिंदुस्तान को गोवा में सेना कार्रवाई के लिए प्रेरित किया दो दिन चले युद्ध के बाद पुर्तगाली गवर्नर जनरल को सेरेण्डर करना पड़ा और गोवा का हिंदुस्तान में एकीकरण हुआ

भारत के विरुद्ध संयुक्त देश पहुंचा पुर्तगाल 
गोवा हाथ से जाने के बाद तिलमिलाए पुर्तगाल ने संयुक्त देश का रुख किया अब पुर्तगाल और हिंदुस्तान के बीच कूटनीतिक युद्ध की स्थिति बन गई संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने पुर्तगाल के उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें हिंदुस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने की मांग की गई पुर्तगाल के प्रस्ताव को चीन, इक्वाडोर, चिली और ब्राज़ील का भी समर्थन मिला हालांकि, सोवियत संघ, लाइबेरिया, संयुक्त अरब गणराज्य (यूएआर) और श्रीलंका जैसे राष्ट्रों से हिंदुस्तान को समर्थन मिला सोवियत रूस ने वीटो का यूज किया और पुर्तगाल के प्रस्ताव को गिरा दिया हिंदुस्तान का समर्थन करने वाले राष्ट्रों ने पश्चिम के दोहरे मानकों की निंदा की

संयुक्त देश में हिंदुस्तान को जीत कैसे मिली
संयुक्त देश में सोवियत रूस ने पश्चिमी रुख की कड़ी आलोचना की और क्यूबा पर अमेरिका के असफल आक्रमण जैसी हाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए पश्चिमी राष्ट्रों की आलोचना की सोवियत संघ ने तर्क दिया कि भूगोल, इतिहास, संस्कृति, भाषा और परंपराओं के आधार पर गोवा का हिंदुस्तान से संबंध निर्विवाद है संयुक्त अरब गणराज्य, श्रीलंका और लाइबेरिया के प्रतिनिधियों के बयानों ने भी पुर्तगाल के तर्कों को और ध्वस्त कर दिया

गोवा की मुक्ति महज एक सेना अभियान नहीं थी यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर किया गया एक कूटनीतिक तख्तापलट था आज, केवल गोवा की आजादी का उत्सव नहीं, हिंदुस्तान और रूस के बीच दोस्ती की भी कहानी है

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