मेधा पाटकर के जन्मदिन पर जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में
वह गुजरात में सरदार सरोवर परियोजना के निर्माण से प्रभावित लगभग 37 हजार गांवों के लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक आवाज बने। मेधा पाटकर आज अपना जन्मदिन इंकार रही हैं। मेधा आदिवासियों, दलितों, किसानों, श्रमिकों और हमेशा अन्याय का सामना करने वाली स्त्रियों से जुड़े सभी जरूरी सियासी और आर्थिक मुद्दों पर काम करती हैं। मेधा एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की सदस्य और प्रतिनिधि भी रही हैं जो बांधों के निर्माण से प्रभावित पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों पर अध्ययन करता है। तो आइए जानते हैं मेधा से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में…
मेधा पाटकर का करियर
आपको बता दें कि मेधा पाटकर का जन्म 1 दिसंबर 1954 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी वसंत खानोलकर और मां इंदु खानोलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका पालन-पोषण सामाजिक एवं सियासी परिवेश में हुआ। बचपन से ही समाज सेवा में रुचि रखने वाली मेधा ने 1976 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
नर्मदा बचाओ आंदोलन
मेधा गुजरात में सरदार सरोवर परियोजना के निर्माण से प्रभावित लगभग 37 हजार गांवों के लोगों के अधिकारों की आवाज बनीं। उन्होंने महेश्वर बांध के विस्थापितों के आंदोलन का नेतृत्व किया। 1985 से वह नर्मदा से जुड़े हर आंदोलन में एक्टिव रूप से भाग लेती रही हैं। इस वजह से वह चुनावी राजनीति से दूर हो गई हैं। वह वंचितों और विस्थापितों के लिए जीवटता की मिसाल बन गई हैं। मेधा ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ-साथ कई सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने अन्ना हजारे के करप्शन विरोधी आंदोलन का भी समर्थन किया।
मेधा का सियासी करियर
मेधा पाटकर ने 13 जनवरी 2014 को अरविंद केजरीवाल की सियासी पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ में शामिल होने की घोषणा की। उसी वर्ष उन्होंने उत्तर पूर्व मुंबई से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पुरस्कार और सम्मान
मेधा पाटकर को उनके सामाजिक कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
- राइट लाइवलीहुड अवार्ड, 1991,
- गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार, 1992,
- एमनेस्टी इंटरनेशनल, जर्मनी से मानवाधिकार रक्षक पुरस्कार, बीबीसी ऑफ द ईयर,
- दीना नाथ मंगेशकर पुरस्कार,
- शांति के लिए कुंडल लाल पुरस्कार,
- मातोश्री भीमाबाई अम्बेडकर पुरस्कार,
- सामाजिक इन्साफ के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार।