डीआरडीओ ने रक्षा उत्पादकों के साथ किए अहम समझौते, हुई इन क्षेत्रों में बातचीत
मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बोला कि डीआरडीओ की इन प्रौद्योगिकियों पर आधारित उत्पाद रक्षा विनिर्माण क्षेत्र और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिलेगा। इसमें बोला गया कि डीआरडीओ ने रक्षा उद्योग के नौ भागीदारों को एमएएएआर मूल्यांकन प्रमाणपत्र सौंपे है। एसएएमएआर रक्षा विनिर्माण उद्यमों की योग्यता को मापने के लिए एक बेंचमार्क हैं। एक्सपो में भागीदारों को संबोधित करते हुए डीआरडीओ अध्यक्ष समीर वी कामत ने बोला कि हम भारतीय रक्षा उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डीआरडीओ उत्पादों की कामयाबी ने न सिर्फ़ राष्ट्र को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में उद्योगों को कई अवसर भी प्रदान किए। डीआरडीओ अध्यक्ष कामत ने बोला कि भागीदारी अमूल्य है। यह समय हिंदुस्तान को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिए उपयुक्त है। अध्यक्ष ने ऑफिसरों को नयी नीतियों और प्रक्रियाओं की जानकारी दी।
डीआरडीओ कर सकता है- एसएलसीएम
जानकारी के मुताबिक ,अगले महीने पूर्वी तट पर सबमरीन लॉन्च क्रूज मिसाइल (एसएलसीएम) का परीक्षण हो सकता है। इस क्रूज मिसाइल में 500 किमी दूरी तक वार करने की क्षमता होगी। इस प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। हिंदुस्तान में निर्मित सबमरीन के लिए एसएलसीएम एक अहम हथियार साबित हो सकता है। इन सबमरीन को प्रोजेक्ट 75 के अनुसार बनाया जाना है। क्रूज मिसाइलें भविष्य में बनने जा रही रक्षा बलों की रॉकेट आधारित फोर्स में शामिल होंगी। फोर्स में छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल की जाएंगी। इस बीच रक्षा हथियारों में भी नया बढ़ोत्तरी हो सकता है, रक्षा मंत्रालय 800 किमी दूरी तक मारक क्षमता वाली मिसाइलों की खरीद पर इसी सप्ताह बैठक करने जा रहा है। मिसाइल जमीन पर वार करने वाली होंगी। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इसका लाभ रक्षा बलों की हथियार प्रणाली को मजबूत करने में मिलेगा।