शिमला के समरहिल में जोशीमठ जैसी तबाही ने दी दस्तक
Rescue operation in Himachal: हिमालय रेंज में शामिल हिमाचल प्रदेश में प्रकृति इन दिनों ऐसा तांडव दिखा रही है, जिससे यहां की मासूम आवाम त्राहिमाम कर रही है। समाचार है कि शिमला के समरहिल में जोशीमठ जैसी तबाही ने दस्तक दी है, जहां कई घरों में दरारे देखने को मिल रही हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि कई मकानों को दरारों ने दो भागों में बांट दिया है। जिस घर को बनाने में एक शख्स की पूरी जीवन लग जाती है, उसी आशियाने को यहां लोग छोड़कर जाने को विवश हैं। वहीं लोअर समरहिल की बात करें तो यहां दिन-प्रतिदिन खतरा और बढ़ता ही जा रहा है।
स्थानीय लोगों का बोलना है कि उनके घरों में दरारे पड़ने लगी हैं और सभी घरों को छोड़कर जाने को विवश हैं, लेकिन उनके पास कोई वैकल्पिक भवन नहीं है। रास्तों और घरों में पड़ने वाले कैक्स की वजह से पूरे क्षेत्र में डरावना मंजर देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि रविवार को शिमला में भारी बारिश हुई थी जिसके बाद शिमला समेत अन्य जिलों में भूस्खलन की कई घटनाएं सामने आईं थीं।
शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी ने कहा कि समर हिल क्षेत्र में शिव मंदिर के मलबे से एक और मृतशरीर बरामद होने के साथ ही बारिश से प्रभावित हिमाचल प्रदेश में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है। इनमें से 22 लोगों की मृत्यु शिमला में समर हिल में स्थित शिव मंदिर, फागली और कृष्णानगर में हुए भूस्खलन में हुई।
हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट ने मूसलाधार बारिश के कारण हुए भारी हानि को राज्य आपदा घोषित करने का निर्णय लिया है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बोला कि इस संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी। हिमाचल प्रदेश, राज्य में हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए केंद्र गवर्नमेंट की प्रतिक्रिया की भी प्रतीक्षा कर रहा है।
राज्य इमरजेंसी परिचालन केंद्र के मुताबिक 24 जून को मानसून की आरंभ के बाद से हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में 217 लोगों की मृत्यु हुई है और 11,301 घर आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। राज्य में कुल 506 सड़कें अब भी बंद हैं और 408 ट्रांसफार्मर तथा 149 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हैं। पिछले तीन दिन में कांगड़ा जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों से 2,074 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। सुक्खू ने पहले बोला था कि राज्य को इस मानसून में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक वर्ष लगेगा।