प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दी ऐसी क्या दलील…
नई दिल्ली। हिंदुस्तान निर्वाचन आयोग (ECI) ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को कहा कि केरल के कासरगोड में मतदान के अभ्यास के दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ (ईवीएम) में एक अतिरिक्त वोट दिखने के इल्जाम झूठे हैं। उच्चतम न्यायालय उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोट का ‘वोटर वेरिफियेबिल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) से पूरी तरह सत्यापन करने का निवेदन किया गया था। इस मुद्दे में उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। चुनाव आयोग ने दलील दी कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है तो न्यायालय ने भी टिप्पणी की कि हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते।
चुनाव आयोग ने मुद्दे की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में बोला कि ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है। इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इतना ही नहीं वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आयोग ने बोला कि मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की आसार से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है। इस पर उच्चतम न्यायालय के जस्टिस खन्ना ने बोला कि मतदाता को ईसीआई द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट होना होगा। साक्ष्य अधिनियम यह भी कहता है कि आधिकारिक कृत्यों को आम तौर पर वैध रूप से किया गया माना जाता है।
चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया तो आप उसकी सराहना करें: जस्टिस खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना ने भूषण से बोला कि अब आप अपनी मांग को लेकर बहुत आगे जा रहे हैं। हर चीज पर शक नहीं किया जा सकता। यदि चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है तो आप उसकी भी सराहना करें। हमने आपकी बात सुनी क्योंकि हम भी चिंतित हैं। क्या आपको हर चीज के बारे में बताना महत्वपूर्ण है? एसजी तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि चुनाव की पूर्व संध्या पर ऐसा समय-समय पर ऐसी याचिकाएं आती हैं। इसका मतदान फीसदी पर असर पड़ता है, लोकतंत्र को हानि पहुंचता है। जस्टिस खन्ना ने बोला कि मिस्टर भूषण ने काफी पहले दाखिल की थी। इस पर एसजी तुषार मेहता ने बोला कि वह मतदाता की पसंद को मजाक बना रहे हैं। मैंने अपनी तरफ से सभी से बोला है कि कल के लिए किसी प्लांटेड आर्टिकल/न्यूज़ आर्टिकल के लिए तैयार रहें।
एक मिनट में कितने वोट डाले जा सकते हैं: उच्चतम न्यायालय
सुप्रीम न्यायालय ने चुनाव आयोग से पूछा कि एक मिनट में कितने वोट डाले जा सकते हैं। इस पर चुनाव आयोग के अधिकारी ने बोला कि अमूमन एक वोट के लिए 15 सेकंड लगते हैं इसलिए अधिकतम 4 वोट एक मिनट मे डाले जा सकते है। अभी ये संख्या 4 से कम है। चुनाव आयोग ने कहा कि हमारे पास हर एक जिले में ईवीएम प्रदर्शन केंद्र भी है और कोई भी आकर मशीन के बारे में जानकारी ले सकता है। फिर उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट में स्टोरेज डेटा और वीवीपैट पर्चियों के बीच कोई मिसमैच का मुद्दा है? चुनाव आयोग ने बोला कि अभी तक हमने 4 करोड़ से अधिक वीवीपैट की काउटिंग की है अब तक एक भी मिसमैच नहीं मिला।
सुप्रीम न्यायालय से चुनाव आयोग ने पूछा, कब आती है बीप की आवाज
सुप्रीम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से पूछा कि बीप की आवाज कब आती है? चुनाव आयोग ने बोला कि जब कंट्रोल यूनिट द्वारा वोट रजिस्टर हो जाता है। उच्चतम न्यायालय ने बोला कि कंट्रोल यूनिट वीवीपैट को कमांड देता है और रजिस्टर होते ही बीप की आवाज आती है? चुनाव आयोग ने बोला कि बीप स्लिप पर निर्भर है। एक सेंसर है जो स्लिप गिरने को रिकॉर्ड करता है।
चुनाव आयोग ने किस समाचार को उच्चतम न्यायालय में कहा गलत
वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ से बोला कि ये खबरें गलत हैं। हमने जिलाधिकारी से आरोपों की पड़ताल की है और यह बात सामने आई है कि ये गलत हैं। हम न्यायालय में विस्तृत रिपोर्ट जमा करेंगे। व्यास पीठ को ईवीएम की कार्यशैली के बारे में बताने के लिए न्यायालय में मौजूद थे।
इससे पहले आज दिन में शीर्ष न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह से इस मामले पर विचार करने को बोला था। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इस मामले को उठाया था। याचिकाकर्ता एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से भूषण ने न्यायालय से बोला कि इस तरह की खबरें हैं कि ईवीएम ‘मॉक पोल’ की कवायद के दौरान एक अतिरिक्त वोट दर्शा रही थीं।