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पीएम का आरोप- कांग्रेस ने कर्नाटक को ATM बना दिया, खाली कर दिया खज़ाना…

बैंगलोर: लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है, अब राजनीतिक दल तीसरे चरण के लिए बल लगा रहे हैं. इसी क्रम में पीएम मोदी आज कर्नाटक के बागलकोट पहुंचे हैं, जहाँ उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने अपनी गवर्नमेंट की उपलब्धियां गिनाईं, तो साथ ही विपक्षी कांग्रेस पार्टी की खामियों को खुलासा किया.

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की आरंभ करते हुए बोला कि 2024 का चुनाव हिंदुस्तान का भविष्य तय करेगा. इन चुनावों का लक्ष्य एक विकसित भारत, एक आत्मनिर्भर हिंदुस्तान का निर्माण करना और राष्ट्र को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदलना है. यह आपका वोट ही है जो यह सब साकार करने में सहायता कर सकता है. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बीजेपी सांसद के मृत्यु पर दुःख जताते हुए बोला कि, आज सुबह ही हमें एक दुखद समाचार मिली है. संसद में मेरे साथी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सामाजिक इन्साफ के अग्रणी सिपाही श्रीनिवास प्रसाद जी अब हमारे बीच नहीं रहे. श्रीनिवास प्रसाद जी चामराजनगर, कर्नाटक से सांसद थे. वे जमीन से जुड़े नेता थे, सच्चे अर्थ में जन नेता थे. अपने इतने दशकों के सामाजिक जीवन में उन्होंने हर क्षण गरीबो, शोषितों, वंचितों की सेवा की. ईश्वर उन्हें सद्गति दे, उनके परिवार और समर्थकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं.

पीएम मोदी ने बोला कि, कांग्रेस पार्टी पार्टी ने कर्नाटक को भी अपनी लूट का ATM बना लिया है. इतने कम समय में ही इन लोगों ने कर्नाटक का सरकारी खजाना खाली कर दिया है. पीएम ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए बोला कि, विदेशों में लक्ज़री छुट्टियों का आनंद लेने वाले हिंदुस्तान का विकास नहीं कर सकते. राष्ट्र के लिए काम करने के लिए एक विजन की आवश्यकता होती है. विज़न के लिए सरेंडर की जरूरत है. जब कुछ भी उपस्थित नहीं होता तो रिज़ल्ट शून्य होता है. लेकिन मोदी के मुद्दे में, दृष्टि और आदर्श वाक्य, दोनों साफ हैं.
मोदी 2047 के लिए चौबीसों घंटे काम करता है.

प्रधानमंत्री ने बोला कि, कांग्रेस पार्टी पार्टी ने कर्नाटक को अपना ‘एटीएम’ बना लिया है. इतने कम समय में इन लोगों ने कर्नाटक का सरकारी खजाना खाली कर दिया है. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि वहां के विधायकों को विकास कार्यों के लिए फंड नहीं मिल रहा है. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोला कि, पिछले 10 सालों में मोदी ने हर उस वर्ग की चिंता की है, जिसे कांग्रेस पार्टी ने बदहाली का जीवन जीने पर विवश किया था.  आज ये लोग एक झटके में गरीबी हटाने का दावा करते हैं, लेकिन इनकी 60 वर्ष की सरकार, इनकी कई पीढ़ियों का काम गवाह है कि वंचित वर्ग के लिए इनकी मानसिकता क्या रही है?  करोड़ों परिवार इस राष्ट्र में जीवन की मूलभूत जरुरतों से वंचित थे. उनके दुख, उनकी तकलीफ से कांग्रेस पार्टी और उनके साथियों को कोई वास्ता नहीं था.

प्रधानमंत्री ने बोला कि, कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति का अधिकार छीन रही है यह तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. एक तरफ जहां बीजेपी गवर्नमेंट ने तलवाड़ा समुदाय को एसटी का दर्जा दिया. दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी पार्टी ने कर्नाटक में संविधान बदलने और एसटी को उनके अधिकारों से वंचित करने का अभियान प्रारम्भ किया है.

क्या सचमुच खाली हो गया कर्नाटक का खज़ाना ?

बता दें कि, कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान निःशुल्क के चुनावी वादे किए थे, जिसके बाद वो सत्ता में तो आ गई, लेकिन इन गारंटियों को पूरा करने में सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ गया. एक बार जब कांग्रेस पार्टी विधायकों ने अपने क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए राज्य गवर्नमेंट से धन माँगा, तो डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि चुनावी गारंटियों को पूरा करने में हमें फंड लगाना पड़ा है, इसलिए अभी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं दे सकते. अब जब राज्य सूखे से जूझ रहा है, तो राज्य गवर्नमेंट ने केंद्र से आर्थिक सहायता मांगी थी. केंद्र गवर्नमेंट ने एक सप्ताह में रकम जारी करने की बात कही थी. हालाँकि, कांग्रेस पार्टी के चुनावी वादों पर भी अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई थी कि निःशुल्क की चीज़ों से सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ेगा और बाकी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचेगा, लेकिन उस समय पार्टी ने इन बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया था. यही नहीं, गवर्नमेंट बनने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपनी निःशुल्क की 5 चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए  SC/ST वेलफेयर फंड से 11 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए थे. इसी को लेकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोला कि, कांग्रेस पार्टी ने अपनी तुस्टीकरण की राजनीति करने के लिए SC/ST के अधिकार छीन लिए.

बता दें कि,  कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य गवर्नमेंट को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है. लेकिन उन 34000 करोड़ में से भी 11000 करोड़ रुपए राज्य गवर्नमेंट ने निकाल लिए. इसके बाद राज्य गवर्नमेंट ने अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना प्रारम्भ की, जिसमे उन्हें गाड़ी खरीदने पर 3 लाख तक की सब्सिडी देने का घोषणा किया था. उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा. 3 लाख रुपए राज्य गवर्नमेंट देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक कर्ज गवर्नमेंट ही दिलाएगी. वहीं, इस वर्ष के बजट में कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट ने वक्फ प्रॉपर्टी के लिए 100 करोड़ और ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ आवंटित किए हैं. जानकारों का बोलना है कि, धन का ठीक प्रबंधन नहीं करने के कारण, राज्य गवर्नमेंट का खज़ाना खाली हो गया और आज सूखे से जूझ रहे कर्नाटक को राहत देने के लिए कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट के पास पैसा नहीं बचा है और केंद्र ने उसे  3,454 करोड़ रुपये जारी किए हैं. हालाँकि, राज्य के डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इन पैसों को लेकर बोला है कि ये धन पर्याप्त नहीं हैं, और हम इसे अस्वीकार करते हैं. मजे की बात ये भी है कि, महंगाई के विरुद्ध जंग लड़ने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में सत्ता मिलने के बाद नंदिनी दूध के मूल्य 3 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए, साथ ही बिजली की कीमत 2.89 रुपये प्रति यूनिट बढ़ा दी थी. 
वहीं, यदि रोज़गार की बात करें तो, कर्नाटक चुनाव से पहले, राहुल गांधी ने बेल्लारी के लिए 5,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का वादा किया था, जिसमें इसे ‘भारत की जींस राजधानी’ में बदलने की भव्य योजना थी. हालाँकि, बाद की घटनाओं ने एक अलग कहानी दिखाई है, बिजली कटौती के कारण क्षेत्रीय जींस उद्योग में तबाही मच गई है, जिससे यह पतन के कगार पर पहुंच गया है. बेल्लारी में जींस उद्योग को प्रतिदिन 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. लोड शेडिंग के साथ इस स्थिति ने क्षेत्रीय जींस उत्पादन को ठप कर दिया है.  बिजली कटौती के कारण जींस उत्पादन में भारी कमी आई है, जिससे उद्योग में मजदूरों की कमी हो गई है. श्रमिक, जिन्हें अक्सर उत्पादित जीन्स के मुताबिक भुगतान किया जाता है, अब वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की तलाश कर रहे हैं, और पड़ोसी राज्यों में पलायन कर रहे हैं. दरअसल, कर्नाटक, जो कभी बिजली सरप्लस राज्य था, अब अन्य राज्यों से बिजली खरीद रहा है और इसे निःशुल्क में वितरित कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जरूरी वित्तीय हानि हो रहा है. राज्य की अर्थव्यवस्था और उसके लोगों पर ऐसी नीतियों के रिज़ल्ट गहरे हैं.

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