देशभर में लागू हुआ CAA, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
CAA Can Benefit बीजेपी in Lok Sabha Election 2024 : वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लाने का वादा किया था। अब वर्ष 2024 में बीजेपी ने यह वादा पूरा कर दिया है। सोमवार को सीएए को देशभर में लागू करने की नोटिफिकेशन जारी कर दी गई थी। खास बात यह है कि इस वर्ष भी लोकसभा चुनाव होने हैं। इससे ठीक पहले सीएए को लागू करने के निर्णय के सियासी अर्थ भी निकाले जा रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानिए आनें वाले लोकसभा चुनाव में सीएए बीजेपी को कितना लाभ पहुंचा सकता है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कहीं न कहीं सीएए लागू करने से बीजेपी को चुनाव में लाभ होगा। खासकर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की स्थिति को यह मजबूत कर सकता है। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सीएए का विरोध किया है। लेकिन, इस कानून के अनुसार राज्य के मतुआ समुदाय को भी नागरिकता दी जाएगी। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में इस समुदाय की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। इस हिसाब से बंगाल में सीएए बीजेपी के वोट की संख्या काफी बढ़ा सकता है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की कम से कम 4 लोकसभा सीटों पर यह समुदाय जीत और हार का कारण बन सकता है।
पूर्वी पाक से आए थे मतुआ लोग
मतुआ समुदाय के लोगों ने सीएए को लागू करने के निर्णय का स्वागत किया है और 11 मार्च को अपना दूसरा स्वतंत्रता दिवस कहा है। मतुआ समुदाय के लोग मूल रूप से पूर्वी पाक (अब बांग्लादेश) के रहने वाले थे। हिंदुओं के कमजोर वर्ग में आने वाले मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश के निर्माण के दौरान हिंदुस्तान आए थे। पश्चिम बंगाल में इनकी जनसंख्या करीब 30 लाख है। बता दें कि यह वर्ग पश्चिम बंगाल विधानसभा की करीब 30 सीटों समेत नादिया और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की कम से कम चार लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के रिज़ल्ट को प्रभावित कर सकता है।
विपक्ष ही करा रहा बीजेपी का फायदा
ममता बनर्जी समेत कई विपक्षी नेताओं ने सीएए का विरोध किया है। पते की बात यह है कि विपक्ष का विरोध सीएए को बीजेपी के लिए और लाभ वाला बना सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस कानून का फोकस मुख्य रूप से हिंदू बहुल जनसंख्या वाले राज्य हैं। सियासी जानकारों का बोलना है कि ऐसे राज्यों में जब विपक्ष इस कानून का विरोध करेगा तो संदेश यह जाएगा कि विपक्ष हिंदू विरोधी है। बीजेपी के नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन, सत्ता के संघर्ष से जूझ रहे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी और अन्य दलों के पास इसका विरोध करने के अतिरिक्त और कोई चारा भी नजर नहीं आ रहा है।