राष्ट्रीय

दुनिया में हर जगह उम्रदराज नेता कर रहे राज, जहां देखो वहीं 70 पार…

क्या दुनिया में ताकतवर नेता बनने के लिए 70 वर्ष की उम्र अब कोई नया पैमाना होती जा रही है? यह प्रश्न हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि दुनिया के बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों के हुक्मरानों को देखेंगे तो पाएंगे कि सब 70 या उससे अधिक साल की उम्र के हैं हिंदुस्तान के पीएम मोदी 73 वर्ष के हैं पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रिबेलो डिसूजा 75 वर्ष के हैं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 70 वर्ष के हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 71 वर्ष के हैं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 81 वर्ष के हैं आयरलैंड के राष्ट्रपति माइकल ड हिग्गिंस 82 वर्ष के हैं सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल्लाअजीज अल सउद 88 वर्ष के हैं

इसी प्रकार कुछ और राष्ट्रों में शासन संभाल रहे लोगों की उम्र को देखें तो बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना 76 वर्ष की हैं माल्टा के राष्ट्रपति जॉर्ज वेल्ला 81 वर्ष के हैं आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति अलासेन क्वाटरा 81 वर्ष के हैं जिम्माब्वे के राष्ट्रपति एमरसन मनानगावा 81 वर्ष के हैं ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई 84 वर्ष के हैं गुएना के राष्ट्रपति अल्फा कोन्डे 86 वर्ष के हैं फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास 88 वर्ष के हैं पाक के पीएम शहबाज शरीफ 72 वर्ष के हैं अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमादजिद टेबोन 78 वर्ष के हैं घाना के राष्ट्रपति नाना अकुफो अड्डू 79 वर्ष के हैं और केमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया 91 वर्ष के हैं

वैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह सत्ता के गलियारों में उम्रदराज लोग राज कर रहे हैं यदि उसके कारणों पर गौर करें तो वह हर राष्ट्र के हिसाब से भिन्न-भिन्न हैं चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर पूरा नियंत्रण रखा हुआ है और अपने मन अनुसार वह चीनी संविधान में बदलाव करते रहते हैं लगातार तीसरी बार वह राष्ट्रपति भी इसलिए बन पाये हैं क्योंकि उन्होंने दबाव बनाकर नियमों में संशोधन करवा लिया और संभव है जब तक जियेंगे तब तक वह चीनी राष्ट्रपति बने रहेंगे इसी प्रकार यदि रूस को देखें तो वहां भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार सत्ता पर इसलिए काबिज हैं क्योंकि वह लोकतंत्र को अपने हिसाब से चला रहे हैं जब उन्होंने रूस की सत्ता संभाली थी तब उनकी उम्र 47 थी मगर आज वह 71 की उम्र में भी लगातार रूस की सत्ता के सर्वोच्च केंद्र बने हुए हैं वहीं यदि अमेरिका की बात करें तो वहां के दो दलीय सियासी सिस्टम में युवाओं को अक्सर एकदम नीचे से आरंभ करनी होती है अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए वैसे विभिन्न प्राइमरी चुनाव जीतने होते हैं और उसके लिए साधन संपन्नता, लोकप्रियता और नेटवर्किंग की जरूरत होती है इसलिए यह सब हासिल करते करते युवा नेता उम्रदराज हो जाते हैं हाल के समय में केवल बराक ओबामा ही थे जोकि 52 की उम्र में व्हाइट हाउस पहुँच गये थे अमेरिका में अगला राष्ट्रपति चुनाव भी उम्रदराज नेताओं- जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच होना तय है

वहीं यदि यूरोप पर नजर डालें तो एक चीज देखने को मिलती है कि यहां युवा नेतृत्व ज्यादातर राष्ट्रों में सत्ता संभाल रहा है फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों 39 वर्ष की उम्र में राष्ट्र के राष्ट्रपति बन गये थे मैक्रों ने जिन गाबरेई अटल को फ्रांस का पीएम नियुक्त किया है उनकी उम्र महज 34 वर्ष है इसी तरह यदि आप ब्रिटेन में देखेंगे तो वहां के पीएम ऋषि सुनक 43 वर्ष के हैं इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी जब अपने राष्ट्र की पहली स्त्री पीएम बनीं थीं तो उनकी उम्र 45 थी इसी प्रकार यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की की उम्र 46 वर्ष है

बहरहाल, देखा जाये तो उम्र महज एक नंबर है नेतृत्व करने वाले आदमी की इच्छाशक्ति, प्रतिबद्धता और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता जैसे तत्व अधिक जरूरी हैं इस संबंध में उदाहरण की बात करें तो हिंदुस्तान के पीएम मोदी में यह सभी गुण नजर आते हैं वह लोकतंत्र को मजबूत रखते हुए जिस तरह विभिन्न विचारों को साथ लेकर चल रहे हैं वह अभूतपूर्व है हिंदुस्तान को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के संकल्प को सिद्ध करने की राह पर आगे बढ़ने के साथ-साथ दुनिया के गरीब राष्ट्रों की सहायता करते रहने और आवश्यकता पड़ने पर विकसित राष्ट्रों को आईना दिखाने तथा उनका मार्गदर्शन करने का भी कार्य जिस प्रकार मोदी कर रहे हैं उसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय नेताओं की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में लंबे समय से शीर्ष पर बने हुए हैं

 

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