जयराम रमेश ने कर्नाटक में मोदी की रैली से पहले उनसे किए ये सवाल
Congress’s allegations regarding the second phase of Lok Sabha elections : कांग्रेस ने रविवार को इल्जाम लगाया कि पीएम मोदी लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में सफाया होने के बाद हताशा में डर फैलाने का काम कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कर्नाटक में मोदी की रैली से पहले उनसे कुछ प्रश्न किए.
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, दूसरे चरण में सफाए के बाद हताश पीएम आज कर्नाटक में कई रैलियां कर रहे हैं. कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उन्हें असत्य बोलने और डर फैलाने के बजाय उत्तर देना चाहिए. उन्होंने कहा, जन प्रतिनिधियों के रूप में बीजेपी सांसदों का प्रदर्शन इतना खराब क्यों रहा है? केंद्र ने सात महीने की देरी के बाद सूखा राहत निधि की 20 फीसदी से भी कम राशि क्यों जारी की? केंद्र ‘अपर भद्रा’ और महादई परियोजनाओं को क्यों रोक रहा है?
रमेश ने संसदीय अनुसंधान सेवा (पीआरएस) के नवीनतम आंकड़ों का हवाला देते हुए इल्जाम लगाया कि कर्नाटक से बीजेपी सांसदों ने अपनी जिम्मेदारियों की घोर उपेक्षा की है और उन्होंने अपने मतदाताओं की सेवा करने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई. उन्होंने कहा, संसद में राष्ट्रीय औसत उपस्थिति 79 फीसदी रही लेकिन कर्नाटक के 28 सांसदों की औसत उपस्थिति इससे भी कम 71 फीसदी रही.
समीक्षा से पता चला कि इनमें से 26 सांसदों ने मनरेगा निधि, सूखा और बाढ़ राहत सहायता और केंद्र द्वारा पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के लिए चावल के अतिरिक्त आवंटन से इनकार करने जैसे कर्नाटक के मुद्दों को कभी नहीं उठाया. रमेश ने बोला कि सभी बहसों के प्रतिलेखों का विश्लेषण करने पर पीआरएस ने पाया कि बहुत कम सांसदों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं के निवारण के लिए नीतियां या कार्यक्रम प्रारम्भ करने की प्रयास की.
उन्होंने कहा, तीन सांसदों ने पांच वर्ष में एक भी प्रश्न नहीं पूछा और पांच सांसदों ने एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया, जबकि अधिकांश सांसदों की राज्य की उपेक्षा करने के लिए निंदा की गई, सात सांसदों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सिर्फ़ आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के गैरकानूनी एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया.
क्या पीएम मोदी कर्नाटक की जनता से माफी मांगेंगे : रमेश ने कहा, सबसे निंदनीय निष्कर्ष संभवत: यह रहा कि 28 में से 14 सांसद अपने इलाकों में सांप्रदायिक अत्याचार को बढ़ावा देने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे. क्या पीएम मोदी इन निष्प्रभावी सांसदों को कर्नाटक की जनता पर थोपने के लिए माफी मांगेंगे? या क्या उनकी मंशा हमेशा से ही ऐसे बीजेपी सांसदों को चुनने की थी जो काम नहीं करें ताकि कर्नाटक की आवाज को नजरअंदाज किया जा सके?
उन्होंने बोला कि कर्नाटक गवर्नमेंट को आपदा राहत नियमों के अनुसार केंद्र से 18,000 करोड़ रुपए से अधिक की राहत राशि मांगे हुए सात महीने से अधिक समय हो गया है. रमेश ने बोला कि कर्नाटक गंभीर सूखे की स्थिति से जूझ रहा है, 236 तालुक में से 223 सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं और 196 तालुक को गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
केंद्र को आईएमसीटी रिपोर्ट मुद्दे में 1 महीने के भीतर फैसला लेना होगा : उन्होंने बोला कि कर्नाटक गवर्नमेंट ने सूखा राहत के लिए 18,171 करोड़ रुपए की रकम जारी किए जाने की मांग को लेकर मोदी गवर्नमेंट से सितंबर 2023 की आरंभ में संपर्क किया था. रमेश ने कहा, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के नियम के अनुसार, केंद्र को अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) की रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर धन जारी करने पर आखिरी फैसला लेना होगा.
वित्तमंत्री ने पिछले महीने बनाया था बहाना : रमेश ने कहा, कर्नाटक के मुद्दे में यह अवधि दिसंबर 2023 में खत्म हो गई. वित्तमंत्री ने पिछले महीने बहाना बनाया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से उनके हाथ बंधे हुए हैं. उन्होंने कहा, कर्नाटक गवर्नमेंट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दबाव बनाए जाने के बाद केंद्र ने आखिरकार रकम मंजूर कर दी, लेकिन यह सिर्फ़ 3,498 करोड़ रुपए है. यह उस राशि का 20 फीसदी से कम है, जिसका निवेदन किया गया था.