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गौतम बुद्ध नगर से बीजेपी ने इस बार फिर सीटिंग सांसद महेश शर्मा पर जताया भरोसा

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. पूरे राष्ट्र की नजर यूपी पर है. 543 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्‍यादा 80 उत्तर प्रदेश में है. ऐसे में यूपी का सबसे अमीर जिला और दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर की बात की जाए तो यह सियासी रूप से बहुत खास माना जाता है. गौतम बुद्ध नगर हाई प्रोफाइल सीट है. इसे पहले नोएडा बोला जाता था और ये नाम आज भी प्रचलन में है. गौतम बुद्ध नगर संसदीय सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा है. भाजपा ने इस सीट पर एक बार फिर सीटिंग सांसद महेश शर्मा पर ही भरोसा जताया है. वहीं, यहां से विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की ओर से सपा (सपा) ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. समाजवादी पार्टी ने डाक्टर महेंद्र सिंह नागर को प्रत्याशी बनाया है, जबिक बसपा (बसपा) ने राजेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया है.

2009 में पहला लोकसभा चुनाव 

शुरुआती दौर में गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन 1962 के चुनाव में इसे नयी बनाई गई खुर्जा लोकसभा सीट में शामिल कर लिया गया. गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. 2009 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें बसपा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की. उस दौरान बीएसपी के सुरेंद्र सिंह ने भाजपा के महेश शर्मा को 15,904 मतों के अंतर से हराया था. सपा तब तीसरे जगह पर रही थी.

2014 के चुनाव में मोदी लहर का असर उत्तर हिंदुस्तान समेत पूरे राष्ट्र में दिखाई दिया और गौतम बुद्ध नगर सीट भी भाजपा की झोली में आई. भाजपा ने चिकित्सक महेश शर्मा को फिर से मैदान में उतारा और उन्होंने समाजवादी पार्टी के नरेंद्र भाटी को 2,80,212 मतों के अंतर से हराया था. महेश शर्मा को इस बहुत बढ़िया जीत का पुरस्कार भी मिला और वो केंद्र की मोदी गवर्नमेंट में मंत्री बनाए गए. 2019 के चुनाव में महेश शर्मा की जीत का आंकड़ा बढ़ गया और 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीते. अब एक बार फिर महेश शर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाया गया है. ऐसे में महेश शर्मा के साथ-साथ भाजपा की भी नजर इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने पर है.

गौतम बुद्ध नगर जिले का महत्व

राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली (NCR) से सटे गौतम बुद्ध नगर जिले की स्थापना 9 जून 1997 को हुई थी. इस जिले को बुलंदशहर और गाजियाबाद जिलों के कुछ हिस्सों को काटकर बनाया गया था. उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलाव होते ही पूर्व सीएम स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में आई सपा की गवर्नमेंट ने इस जिले को भंग कर दिया था. यहां की जनता ने इस सरकारी फरमान का जबरदस्त विरोध करते हुए आंदोलन किया था. बाद में जनता के दबाव के आगे यूपी की तत्कालीन गवर्नमेंट को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और इस जिले की पुनर्बहाली हो गई. दिल्ली से सटे हुए इस जिले का मुख्यालय ग्रेटर नोएडा में स्थित है. इस जिले का महत्व इसकी सीमा में आने वाली प्रमुख औद्योगिक इकाइयों और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अतिरिक्त नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे विकासशील औद्योगिक प्राधिकरणों के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किए जाने से और अधिक बढ़ गया है.

नोएडा सीट का जातिगत समीकरण

इस क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें- नोएडा, जेवर, सिकंदराबाद, दादरी और खुर्जा शामिल हैं. 2017 के दौरान यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी पांच सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं. इस संसदीय सीट पर जातिगत समीकरण काफी अहम माना जाता है. इस संसदीय क्षेत्र के अनुसार गुर्जर, ठाकुर और दलित के साथ-साथ मुसलमान और ब्राह्मण वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है. 2019 के चुनाव के समय यहां ठाकुर वोटर्स की संख्या 4 लाख से अधिक थी, जबकि ब्राह्मण वोटर्स की भी करीब 4 लाख संख्या थी. इसके बाद मुसलमान वोटर्स करीब 3.5 लाख, गुर्जर वोटर्स करीब 4 लाख के साथ-साथ दलित वोटर्स की संख्या भी करीब 4 लाख थी.

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