2029 तक महिला आरक्षण बिल को पूरी तरह कर दिया जाएगा लागू
लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने स्त्री आरक्षण विधेयक 2023 में स्त्रियों को 33 प्रतिशत आरक्षण को स्वीकृति दे दी हैं। इस बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह अब कानून बन चुका है।
इस अधिनियम के जरिए लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में 33% सीटें स्त्रियों के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि, नयी जनगणना और सीटों के परिसीमन के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।
अनुमान लगाया जा रहा है कि 2029 तक स्त्री आरक्षण बिल को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।
पंचायतों से लेकर हायर एजुकेशन, डिफेंस और दूसरे सेक्टर में भी स्त्रियों को आरक्षण मिला हुआ है। केंद्र गवर्नमेंट के साथ कई राज्य सरकारों ने इसकी पहल की है।
केंद्रीय सेना पुलिस बलों और असम राइफल्स में स्त्रियों की भागीदारी 3.76% है। वहीं बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स और सशस्त्र सीमा बल में स्त्रियों का अगुवाई 14-15% है। जबकि सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स में 6.35% और इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस में 2.83% महिलाएं हैं।
केंद्रीय बल और असम राइफल्स में रिजर्वेशन नहीं है। एक संसदीय पैनल ने स्त्री हिस्सेदारी बढ़ाने की बात कही है। सांसद सुशील कुमार मोदी के नेतृत्व में पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने रिपोर्ट में बोला कि गृह मंत्रालय स्त्रियों को फोर्स जॉइन करने के लिए कदम उठाए।
कमेटी ने केंद्रीय बलों और असम राइफल्स में ट्रांसजेंडरों के रिजर्वेशन को लेकर अपनी अनुशंसा दी। कमेटी ने कहा-महिला अफसरों को सॉफ्ट पोस्टिंग मिले और सख्त परिस्थितियों में काम नहीं करने दिया जाए। रिपोर्ट में बोला गया कि उग्रवाद या आतंकवाद प्रभावित इलाकों और सीमावर्ती जिलों में स्त्रियों को 25% आरक्षण मिले।
छत्तीसगढ़, झारखंड, कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में विशेष अभियान चलाकर अधिक से अधिक स्त्रियों की भर्ती की जाए।
राज्यों की पुलिस में बिहार ने जरूरी पहल की है। 2013 में बिहार पुलिस में स्त्रियों को 35% रिजर्वेशन मिला। इससे बिहार पुलिस में स्त्रियों की संख्या में 27 गुना वृद्धि हुई। वर्तमान में बिहार में 24,247 स्त्री पुलिसकर्मी और पदाधिकारी हैं।
बिहार पुलिस बल में इनकी भागीदारी 23% से अधिक है। पिछले एक वर्ष में ही 4500 स्त्री पुलिसवालों की वृद्धि हुई ।
पंचायतों में रिजर्वेशन से स्त्रियों के अगुवाई को उभारने के लिए दो एमेंडमेंट किए गए हैं। 30 वर्ष पहले की गई इस प्रबंध का सकारात्मक असर देखा जा सकता है।
शैक्षणिक संस्थानों खासकर टेक्नीकल एजुकेशन में भी लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है। ऑल इंडिआ सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE) की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया है।
भारत में भिन्न-भिन्न सेक्टर में वुमन रिजर्वेशन की आवश्यकता क्यों है? इसका कारण यह है कि वर्कफोर्स में स्त्रियों की भागीदारी कम है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी रिपोर्ट में बोला है कि यदि वर्कफोर्स में स्त्रियों की संख्या दोगुनी हो जाए तो हिंदुस्तान का ग्रोथ दर 9% हो सकता है। हमारी GDP 2025 तक 700 बिलियन $ तक पहुंच सकती है।
बीते कुछ सालों में राष्ट्र में हर क्षेत्र में स्त्रियों की भागीदारी बढ़ी है। वैसे काम जिन पर पहले मर्दों का वर्चस्व था, उनमें भी महिलाएं बढ़-चढ़कर आगे आई हैं। अच्छी बात ये है कि गवर्नमेंट की नीतियों में भी स्त्रियों को प्रमुखता से स्थान दी जा रही है। कुछ में वुमन रिजर्वेशन दिया गया है और कुछ में संख्या बढ़ाई जा रही है। वहीं लोकसभा और विधानसभाओं में वुमन रिजर्वेशन से नए इतिहास को लिखने की आरंभ हुई है।