कुतुबमीनार का दरवाज़ा कभी क्यों नहीं खुलता,जानिए इसके पीछे का रहस्य
कुतुब मीनार हिंदुस्तान की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। यह दिल्ली के महरौली जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। यह दुनिया की सबसे ऊंची ईंटों से बनी इमारत है। ऐसा बोला जाता है कि टावर का निर्माण आसपास के 27 मंदिरों के मलबे से किया गया था। इस मीनार के पास एक लोहे का स्तंभ है, जिसे कीर्ति स्तंभ बोला जाता है। बोला जाता है कि इसमें कभी जंग नहीं लगती। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि इस खंभे से कोई भी इच्छा मांगी जाए तो वह पूरी हो जाती है। इस ऐतिहासिक स्मारक से जुड़े और भी तथ्य हैं जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
टावर की प्रसिद्धि का दावा जादू है
अगर आपने चीनी फिल्म काम देखी है तो इसके अंतिम सीन में अमिताभ बच्चन इसी कीर्ति स्तंभ के सामने खड़े होकर एक मन्नत मांगते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि यदि कोई आदमी इस स्तंभ के व्यास को अपने हाथ में पकड़ लेता है तो उसकी इच्छा पूरी हो जाती है। लेकिन ये इतना सरल नहीं है। क्योंकि हाथ आपको आगे से नहीं पीछे से लेना है।
यह स्तंभ मध्य प्रदेश में बनाया गया था
कहा जाता है कि यह कीर्ति स्तम्भ पहली बार मध्य प्रदेश में बनाया गया था। इसके बाद उन्हें दिल्ली लाया गया। यह चंद्रगुप्त द्वितीय के काल का है। इसको लेकर कई मान्यताएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण विष्णु मंदिर का ध्वज फहराने के लिए किया गया था। हालाँकि, बात नहीं बनी और इसे कुतुब मीनार में स्थापित कर दिया गया।
यह स्तंभ 1600 वर्ष से खड़ा है
यह स्तंभ लोहे से बना है और 1600 वर्ष से ऐसे ही खड़ा है। अजीब बात यह है कि इसमें कभी जंग नहीं लगती। इस स्तंभ का व्यास 48 सेमी है। ध्यान से देखें तो वाक्य ब्राह्मी लिपि में लिखे हुए हैं।
कुतुबमीनार का दरवाज़ा कभी क्यों नहीं खुलता?
क्या आप जानते हैं कि कुतुब मीनार में एक दरवाजा है जो कभी नहीं खुलता। दरअसल, पहले इस गेट से लोग अंदर जा सकते थे, लेकिन एक हादसे के बाद तस्वीर बदल गई और इस गेट को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। लोगों के करीब जाने पर भी रोक है।
हादसे में लोगों की मृत्यु हो गई
मामला 4 दिसंबर 1981 का है। जब इस स्मारक को देखने के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिली। लगभग 400 लोग एक साथ गेट के अंदर पहुंचे, जिसके बाद भगदड़ मच गई। मौसम ख़राब था, जिसके कारण मीनार के अंदर की रोशनी ख़राब हो गई और यहाँ बनी खिड़कियाँ भी लोगों की भीड़ से ढक गईं। कई रिपोर्ट्स के अनुसार यहां कुछ लड़कों ने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की, ऐसे में लड़की भागकर नीचे गिर गई।
लोग समझ गये कि टावर गिरने वाला है। तो लोग डर के मारे भाग खड़े हुए। यह दरवाजा अंदर से बंद था। जिसके कारण अंदर वाले अंदर और बाहरी लोग बाहर रह गए। इस भगदड़ में 45 लोगों की जान भी चली गई। इनमें से ज्यादातर स्कूली बच्चे थे जो विद्यालय ट्रिप के अनुसार यहां पिकनिक मनाने आए थे।
4 दिसंबर कुतुब मीनार का काला दिन है
यही कारण है कि तब से कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार बंद कर दिया गया है। इस त्रासदी के बाद 4 दिसंबर को कुतुब मीनार के इतिहास में काला दिन माना जाता है।