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पर्वत की चोटी पर बना हैं गणपति गणेश जी का ये अनोखा मंदिर

यह बोलना एकदम भी गलत नहीं होगा कि आजकल हम जिस भागदौड़ भरी जीवन में जी रहे हैं, उसमें आस्था और भक्ति लोगों के लिए अपने जीवन के तनाव को कम करने का सबसे सरल तरीका बन गया है यह भी एक कारण है कि ईश्वर में आस्था रखने वाले लोग पहली फुर्सत मिलते ही भिन्न-भिन्न जगहों पर मंदिरों के दर्शन करने निकल पड़ते हैं हो भी क्यों न, हिंदुस्तान के मंदिर बहुत खूबसूरत हैं, जिन्हें देखकर आपका दिल बाग-बाग हो जाता है खुश हो जाता है वहीं इन मंदिरों से ऐसी-ऐसी कहानियां जुड़ी हुई हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है ईश्वर गणेश का ऐसा ही एक मंदिर घने जंगल के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है इस पर्वत पर गणपति बप्पा अकेले विराजते हैं उनसे मिलना सरल नहीं है

यह मंदिर कहां है?

दरअसल, ईश्वर गणेश का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में ढोलकल पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जो रायपुर से केवल 350 किमी दूर है ईश्वर गणेश का मंदिर समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां रास्ता बहुत खड़ी है मुश्किल है बोला जाता है कि बप्पा का यह मंदिर करीब 1 हजार वर्ष पुराना है, जहां उनकी मूर्ति ड्रम के आकार की है यही कारण है कि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपति बोला जाता है

मूर्ति का इतिहास बहुत दिलचस्प है

इस मंदिर में विराजमान ईश्वर गणेश की मूर्ति के ऊपरी दाएं हाथ में एक खपच्ची और ऊपरी बाएं हाथ में एक टूटा हुआ दांत है नीचे वाले दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक है बोला जाता है कि इसी पर्वत पर ईश्वर परशुराम और गणपति बप्पा के बीच विशाल युद्ध हुआ था युद्ध का सबसे बड़ा कारण यह था कि ईश्वर परशुराम ने महादेव की तपस्या से बहुत अधिक शक्ति प्राप्त कर ली थी ऐसे में जब वे महादेव को धन्यवाद देने के लिए कैलाश जा रहे थे, तो गणपति बप्पा ने उन्हें इसी पर्वत पर रोका, जिसके बाद बप्पा का एक दांत टूट गया परशुराम द्वारा परशु चरण के कारण इस घटना के बाद से बप्पा की एक आधे दांत और दूसरे पूरे दांत वाली मूर्ति की पूजा की जाती है

पहाड़ तक पहुंचने का रास्ता?

जिस पहाड़ी पर बप्पा का यह मंदिर स्थित है, उसकी चोटी तक पहुंचने के लिए आपको 5 किमी की मुश्किल चढ़ाई करनी पड़ती है इस यात्रा के दौरान आपको घने जंगल, बड़े-बड़े झरने, पुराने पेड़ और ऊंची चट्टानें देखने को मिलेंगी हालाँकि, इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग ईश्वर गणेश के दर्शन के लिए ढोलकल चोटी पर जाते हैं

छेड़छाड़ का मुद्दा आया सामने

वैसे आपको बता दें कि इस प्राचीन मंदिर की खोज 1934 में एक विदेशी भूगोलवेत्ता ने की थी, जिसके बाद 2012 में दो पत्रकार ट्रैकिंग करते हुए वहां पहुंचे और उन्होंने इस मंदिर की फोटोज़ वायरल कर दीं इस घटना के बाद यहां लोगों का आना-जाना बढ़ गया हालांकि, वर्ष 2017 में ईश्वर गणेश की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की घटना भी हुई थी दरअसल, कुछ असामाजिक तत्वों ने ईश्वर की मूर्ति को खाई में फेंक दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने ड्रोन कैमरे की सहायता से मूर्ति का पता लगाया और इसे दोबारा इंस्टॉल किया

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