जानें, कैसे बनता है कुंडली में पितृ दोष और इसको दूर करने के उपाय
हर आदमी जीवन में चाहता है कि उसको उन्नति मिले और उसके जीवन में सकारात्मकता हो लेकिन कई बार लाख मेहनत के बावजूद न कामयाबी मिलती है और न जीवन से कष्ट कम होते हैं। ऐसे में अक्सर ही माना जाता है कि जातक की कुंडली में पितृ गुनाह है।
राजस्थान के ज्योतिषाचार्य डाक्टर अंकित त्यागी का बोलना है कि पितृ का मतलब है, हमारे पूर्वज जो अब हमारे बीच नहीं रहे या हमारी पिछली पीढ़ी के संबंध में इसे समझा जा सकता है। ऐसे में पितृ गुनाह से तात्पर्य है कि पितृों या पूर्वजों का आर्शीवाद प्राप्त न होना और पितृों की नाराजगी। पितृ गुनाह का संबंध हमारे पिछले जन्मों से भी होता है।
पितरों के आशीर्वाद से घर परिवार में खूब खुशियां आती हैं लेकिन यदि कुंडली में पितृ गुनाह हो तो कई बार देखा गया है कि 7 पीढ़ियों तक कठिनाई झेलनी पड़ सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृ गुनाह कुल आठ तरह के होते हैं, जो किसी कुंडली में ग्रहों के भिन्न-भिन्न संयोजन के चलते बनते हैं लेकिन उन सभी को पितृ गुनाह के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। सर्प श्राप, पितृ श्राप, मातृ श्राप, भ्रातृ श्राप, मातुल श्राप, ब्रह्मा श्राप, पत्नी श्राप और प्रेत श्राप ये 8 प्रकार के श्राप हैं।
पितृ गुनाह कैसे लगता है?
ज्योतिषाचार्य डाक्टर अंकित त्यागी की मानें तो, राहु, केतु या शनि जैसे शुभ ग्रहों के साथ सूर्य की कमजोर स्थिति कुंडली में पितृ गुनाह की वजह बनती है क्योंकि सूर्य हमारे पूर्वजों का अगुवाई करते हैं।
वहीं, चंद्रमा की राहु, केतु या शनि के साथ युति होने पर बनने वाली चंद्रमा के कमजोर स्थिति भी पितृ गुनाह का कारण है क्योंकि चंद्रमा हमारी मां और पूर्वजों का भी कारक है। चंद्रमा की यह स्थिति माता की ओर से पितृ गुनाह की वजह बनती है।
अगर कुंडली में पंचम रेट का स्वामी कमजोर स्थिति में हो या छठे, आठवें या बारहवें रेट में स्थित हो। पंचम रेट में राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे अशुभ ग्रहों का असर हो। कुंडली में नवमेश की कमजोर स्थिति भी पितृ गुनाह दर्शाती है।
पितृ गुनाह की वजह से होने वाली प्रमुख परेशानियां
पितृ गुनाह की वजह से संतान प्राप्ति में परेशानी, संतान के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित परेशानियां, परिवार में योग्य जातकों का शादी ना हो पाने की परेशानी या रुकावटें। घर में नव विवाहितों के वैवाहिक जीवन में होने वाली परेशानियां भी पितृ गुनाह का उदाहरण है।
वहीं, परिवार के सदस्यों को बार-बार स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। व्यावसायिक जीवन में फायदा न मिल पाना। सपने में अपने पूर्वजों को परेशान या दुखी देखना या परिवार में अपमान और सम्मान की नुकसान होना। यदि पितृ गुनाह अधिक प्रबल होता है तो यह परिवार में किसी आदमी की अचानक मौत का कारण भी बन सकता है।
पितृ गुनाह मुक्ति के उपाय
- ज्योतिषाचार्य डाक्टर अंकित त्यागी का मानना है, पितृ गुनाह शांति के लिए पितृ पक्ष में प्रतिदिन घर में शाम के समय दक्षिण दिशा में ऑयल का दीपक लगाएं। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
- साल की हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या की रात के समय चंद्रमा को चांदी के बर्तन में जल अर्पित करें। ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है।
- रोज सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करना प्रारम्भ करें।
- पितृ पक्ष के अतिरिक्त एकादशी , चतुर्दशी , और अमावस्या पर अपने पूर्वजों के नाम से किसी भी ब्राह्मण या गरीब को कपड़े, भोजन, पूजा के सामग्री, दिये आदि वस्तुओं का दान करें।
- जितना संभव हो सके क्रोध और क्रूरता से दूर रहें। शराब या किसी भी तामसिक भोजन का सेवन न करें। अपने घर का माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- किसी सार्वजनिक स्थल पर पीपल, का पौधा लगाएं और उसकी सेवा करें। प्रतिदिन श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय का पाठ करने से भी पितृ गुनाह समाप्त होता है।