लाइफ स्टाइल

अगर आप अपने लुक्स की करवाना चाहते हैं तारीफ, तो करें ये मेकप

खूबसूरती हर किसी को अट्रैक्ट करती है हर आदमी चाहता है कि वह सुंदर दिखे और लोग उसकी लुक्स की प्रशंसा करे

महिलाएं खूबसूरत दिखने के लिए ही मेकअप करती हैं ब्यूटी का बाजार इसलिए कई तरह के मेकअप प्रोडक्ट्स से भरा हुआ है लेकिन अब सोशल मीडिया के जमाने में इस ब्यूटी बिजनेस में कॉस्मेटिक्स ही नहीं, ब्यूटी ऐप्स और फिल्टर भी जुड़ गए है इसे ‘डिजिटल मेकअप’ बोला जा रहा है

आप सोशल मीडिया पर कोई भी फोटो या रील देख लें, अधिकांश में ‘डिजिटल मेकअप’ होता है ऐसे कई तरह के ब्यूटी ऐप और फिल्टर लड़कियों को उनके मन अनुसार लुक दे रहे हैं और वर्चुअली उनकी खूबसूरती को निखार रहे हैं

बॉलीवुड और हॉलीवुड एक्ट्रेसेस भी वर्चुअल मेकअप का इस्तेमाल करती हैं उनकी अनरियल ब्यूटी की एक पोस्ट पर ही करोड़ों लाइक्स आ जाते हैं और फैंस उनकी खूबसूरती के मुरीद हो जाते हैं लेकिन यह सब फेक है जो रील के जरिए लोगों की रियल सोच को अफेक्ट कर रहा है और उनकी मेंटल हेल्थ पर असर डाल रहा है

डिजिटल मेकअप क्या होता है?

डिजिटल जमाने में अब मेकअप भी डिजिटल हो गया है इसमें मोबाइल पर ब्यूटी ऐप्स और फिल्टर के जरिए बिना कंसीलर, फाउंडेशन, कलर करेक्शन लगाए चेहरे को चमकाया जा सकता है

इसके जरिए मनपसंद लिपस्टिक शेड, आईशैडो, मस्कारा और ब्लशर से लुक को कंप्लीट करते हैं यही नहीं, आईब्रो की शेप, हेयर स्टाइल, हेयर कलर, आंखों के लेंस का कलर, होठों की शेप को भी बदलना और चेहरे की ब्यूटी को डिजिटली रिटच तक कर दिया जाता है डिजिटल मेकअप को वर्चुअल मेकअप भी बोला जाता है

2020 में गूगल ने अपने टेलीफोन के कैमरे से ब्यूटी फिल्टर को हटा दिया था

फ्लॉलेस स्किन किसी की नहीं होती

डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर कशिश कालरा कहते हैं कि किसी आदमी की स्किन फ्लॉलेस यानी बिना दाग धब्बे के नहीं होती हर किसी के चेहरे पर पिंपल्स, पिगमेंटेशन, तिल या दाग-धब्बे होना आम है बहुत कम ही लोग होते हैं जिनके चेहरे पर कोई दाग-धब्बे ना हों और उनकी स्किन ग्लो करे

सोशल मीडिया पर ऐसे कई फिल्टर और ब्यूटी ऐप हैं जो चेहरे को चमका देते हैं लेकिन इन पर भरोसा करना ठीक नहीं है

नॉर्वे और फ्रांस में ब्यूटी फिल्टर ऐप्स पर शिकंजा

नॉर्वे ने हाल ही में एक कानून बनाया है इसमें एडवरटाइजिंग कंपनी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को कठोर हिदायत दी गई है कि यदि वे किसी फोटो पर फिल्टर या ब्यूटी ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसके बारे में लोगों बताएं

अगर वे बिना किसी सूचना के ऐसी फोटो को प्रमोट करेंगे तो यह अवैध होगा फ्रांस ने भी इसी तरह का कानून बनाया है ब्रिटेन भी फोटो और वीडियो पर फिल्टर या रीटच करने पर इसकी सूचना डिस्प्ले करने के कानून पर विचार कर रहा है इसे औनलाइन सेफ्टी बिल के अनुसार रखा जा सकता है

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से मेकअप

AI के आने से ब्यूटी के बिजनेस में ग्रोथ हुई है अब कई नामी ब्रांड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से अपने कस्टमर्स को उनके चेहरे के कॉम्प्लेक्शन के हिसाब से उनकी पसंद के प्रोडक्ट्स के शेड चुनने के ऑप्शन दे रहे हैं

इंटरनेशनल ब्यूटी ब्रांड लॉरियल अपने कस्टमर्स को यह सर्विस देने लगा है कंपनी ने एक साक्षात्कार में माना कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उन्हें कस्टमर से जुड़ने का अच्छा मौका दिया

इस सर्विस के जरिए कस्टमर अपनी स्किन टोन के हिसाब से पर्सनलाइज्ड ब्यूटी प्रोडक्ट चुन सकते हैं लैक्मे, मेबलिन, नायका जैसी कंपनी भी कस्टमर्स को यह सर्विस उपलब्ध करवा रही हैं

सोशल मीडिया पर खूबसूरत दिखना क्यों जरूरी

मंगलूरु की रहने वालीं इंस्टाग्राम वीडियो क्रिएटर लिंडा फर्नांडिस क्रैस्टा कहती हैं कि जब उन्होंने 2021 में रील्स बनानी प्रारम्भ की तो वह ब्यूटी फिल्टर का इस्तेमाल करती थीं क्योंकि वह अपने लुक्स को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं थीं उन्हें लगता था कि यदि वह फिल्टर का इस्तेमाल नहीं करेंगी तो लोग उनकी रील्स को नहीं देखेंगे

फिल्टर लगाकर हर कोई सुंदर दिखना चाहता है यदि वह सुंदर नहीं लगेंगी तो लोग रील्स को पसंद नहीं करेंगे लेकिन वह गलत थीं उन्हें बाद में पता चला कि लोगों को रील से अधिक रियल ब्यूटी पसंद है

वीडियो क्रिएटर को एक ही दिन में कई वीडियो बनाने होते हैं और कोई हमेशा सुंदर नहीं दिख सकता वैसे भी घर पर कोई मेकअप नहीं करता ऐसे में सिंपल रहकर वीडियो शूट करना बेहतर है लिंडा कहती हैं कि वह अब किसी ब्यूटी फिल्टर और ब्यूटी ऐप का इस्तेमाल नहीं करतीं

वह डिजिटल से अधिक रियल मेकअप करना पसंद करती हैं वह मानती हैं कि फेक लुक आखिरकार फेक ही होता है यानी डिजिटली बनाया हुआ नकली चेहरा वास्तविक कैसे लग सकता है

लोगों ने ब्यूटी के स्टैंडर्ड बनाए हैं लेकिन इन स्टैंडर्ड को बदलना भी लोगों के ही हाथ में है, इसलिए वह इन फिल्टर्स को यूज नहीं करतीं

सुंदर दिखने का प्रेशर और डिजिटल मेकअप को बढ़ावा

इंस्टाग्राम इन्फ्लूएंसर अश्लेषा भार्गव कहती हैं कि सोशल मीडिया पर सुंदर दिखना एक सोशल प्रेशर है वह अपनी हर फोटो और रील पर फिल्टर यूज करती हैं

अश्लेषा कहती हैं कि डिजिटल कॉस्मेटिक्स का बहुत लाभ है रियल मेकअप करने में बहुत समय लगता है लेकिन ब्यूटी ऐप और फिल्टर से यह कुछ सेकंड में हो जाता है जिससे लुक कुछ सेकंड में ही बदल जाता है

कोरोना के बाद दुनिया वर्चुअल बन गई तो मेकअप भी वर्चुअल बन गया अब बिना फिल्टर के स्वयं की तस्वीर देखना अच्छा नहीं लगता

मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहा वर्चुअल मेकअप

मनोचिकित्सक मुस्कान चंद्रा कहती हैं कि हम लोग जिस दौर में जी रहे हैं, वहां सभी अपने लुक्स को लेकर बहुत अलर्ट हैं इस भावना को ब्यूटी फिल्टर और बढ़ा देते हैं गोरा रंग और खूबसूरत चेहरा हर किसी के लिए जरूरी बन गया है

इन फेक ब्यूटी स्टैंडर्ड से ही मेकअप की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि महिलाएं स्किन केयर के प्रोडक्ट खूब यूज करने लगी हैं वह अपनी नेचुरल स्किन और स्किन टोन से खुश नहीं हैं

कई महिलाएं गुड लुक्स पाने के चक्कर में डिप्रेशन, अकेलेपन और बॉडी डिसमॉर्फिक डिसऑर्डर की शिकार हो जाती हैं वह औनलाइन तो लोगों से मिलना पसंद करती हैं लेकिन ऑफलाइन मिलने से बचती हैं

चेहरे पर आया एक पिंपल उन्हें स्वयं से शर्मिंदा कर देता है जिससे उनका आत्मविश्वास चकनाचूर हो जाता है

लड़कियां फिल्म स्टार से इतनी प्रभावित हैं कि उन्हें उनकी तरह ही स्किन चाहिए जबकि सेलेब्स खूब फिल्टर यूज करते हैं

दूसरों से तुलना न करें

मनोचिकित्सक मुस्कान चंद्रा के मुताबिक महिलाएं सोशल मीडिया पर शो ऑफ से अधिक भेड़चाल का शिकार हैं लड़कियां सेलिब्रिटी की फोटो को देखकर सोचती हैं कि जब ये सुंदर दिख सकती हैं तो मैं क्यों नहीं? इस भेड़चाल की वजह से वह यह सोच-समझ नहीं पातीं कि क्या वह स्वयं उस जैसी लड़की है? वो उनके नकली बनावटी चेहरे पर क्यों इतना एतबार करती हैं कि अपनी मेंटल हेल्थ तक डगमगा लेती हैं

अपने आप से प्रश्न करें- क्या मैं ये हूं? क्या मैं स्वयं को असल में रिप्रजेंट कर रही हूं? मेरी अपनी भी नेचुरल ब्यूटी है जिसे किसी करेक्शन की आवश्यकता नहीं

हमें सोशल मीडिया पर लोगों की झूठी राय और बनावटी सोच इतना प्रभावित क्यों करती है? हम दूसरों के लिए सुंदर क्यों दिखना चाहते हैं? हम झूठी प्रशंसा से खुश क्यों होते हैं? हम यह भूल जाते हैं कि यह सब असलियत से परे है और अधिक देर टिकने वाला नहीं

जब आप दूसरों से अपनी तुलना करने लगे, स्वयं को स्वीकार करना छोड़ दें और असलियत से दूर भागें तो यह आपकी पर्सनैलिटी और मेंटल हेल्थ के लिए खतरे की घंटी है

भारतीय समेत पूरे विश्व की महिलाएं ब्यूटी ऐप की दीवानी

2020 में गूगल ने एक ग्लोबल स्टडी की जिसमें भारतीय स्त्रियों के सोशल बिहेवियर को भी शामिल किया स्टडी में पाया गया कि जर्मनी और साउथ कोरिया की तरह भारतीय स्त्रियों का सुंदर दिखने के लिए ब्यूटी फिल्टर का इस्तेमाल करना आम बात है

70% फोटो एंड्रॉयड टेलीफोन के सेल्फी कैमरे से ली गईं जिसमें फिल्टर टूल्स का इस्तेमाल किया गया

29 वर्ष तक की भारतीय महिलाएं अपनी खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए मेकअप पल्स, पिक्स आर्ट और स्नैपचैट जैसे फिल्टर एप्लिकेशन का सबसे अधिक इस्तेमाल करती मिलीं

मशहूर ब्रांड डव ने पूरे विश्व में एक रिसर्च की जिसमें 80% टीनेज लड़कियों ने माना कि वह 13 वर्ष की उम्र से अपने औनलाइन लुक में परिवर्तन करती रही हैं

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