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क्या आपके आलू की फसल में भी लग रहा झूलसा रोग, तो जानिए उपचार

सारण में आलू की खेती करने वाले किसान खासा परेशान चल रहे हैं आलू में झुलसा बीमारी लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है आलू की फसल लगाने में जितनी पूंजी लगी है, झुलसा बीमारी लग जाने से वह भी निकलना इस बार कठिन लग रहा है छपरा के कई किसानों ने इस बार बड़े पैमाने पर आलू की खेती की है कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो कम रकबा में आलू की खेती कर रहे हैं लेकिन दोनों प्रकार के किसानों की चिंता एक समान है यह फसल दो से ढ़ाई महीने में तैयार हो जाता है और दो कट्ठे में दो क्विंटल तक उत्पादन हो जाता है किसानों को अच्छा फायदा भी देकर जाता है, लेकिन इस बार लागत वसूल होने पर भी आफत है इस बार आलू के पौधे शीतलहर और कुहासे की चपेट में आ गए हैं, जिससे फसल बर्बाद हो रही है

किसानों के लिए जारी किया गया है एडवायजरी
किसान भोला सिंह ने कहा कि 25 रुपये किलो की रेट से बीज खरीद कर बोया था शीतलहर और कुहासे के कारण आलू के उत्पादन पर काफी असर पड़ रहा है उन्होंने कहा कि झुलसा बीमारी से आलू की फसल झुलस रही है पहले आलू के पौधे में पीलापन आ जा रहा है और उसके बाद झुलस जा रहा है जबकि अभी फसल तैयार भी नहीं हुआ है वहीं कृषि विभाग के सहायक निदेशक राधे श्याम कुमार ने कहा कि किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है झुलसा बीमारी फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस के कारण होता है तापमान के 10 से 15 डिग्री सेल्सियस रहने पर आलू में पिछात झुलसा बीमारी होता है बीमारी का संक्रमण रहने पर और बारिश होते ही यह कम समय में फसल को नष्ट कर देता है बीमारी से आलू की पत्तियां किनारे से सूखती है किसान दो हफ्ते के अंतराल पर मैकोजेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण, दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की रेट से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें

ऐसे करें आलू की फसलों का उपचार
सहायक निदेशक राधे श्याम कुमार ने कहा कि संक्रमित फसल में मैकोजेब 63 फीसदी और मेटालैक्सल 8 फीसदी या कार्बेन्डाजिम और मैकोनेच संयुक्त उत्पाद का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में 200 से 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं वहीं तापमान 10 डिग्री से नीचे होने पर किसान रिडोमिल 4 फीसदी एमआई का प्रयोग कर सकते हैं अगात झुलसा बीमारी अल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंद के कारण होता है इसमें निचली पत्तियों पर रिंग जैसे गोलाकार धब्बे बनते हैं इसके कारण अंदर में सेन्ट्रिक रिंग बना होता है पत्ती पीली पड़कर सूख जाती है यह बीमारी देर से लगता है और बीमारी का लक्षण दिखाई देने पर जिनेब 75 फीसदी घुलनशील चूर्ण दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या मैकोजेब 75 फीसदी घुलनशील पूर्ण दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 50 फीसदी घुलनशील चूर्ण 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की रेट से पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं

रासायनिक तथा जैविक कीटनाशी पर मिल रहा है अनुदान
सहायक निदेशक राधे श्याम कुमार ने कहा कि फेरोमोन ट्रैप, लाइफटाइम ट्रैप, स्टिकी ट्रैप पर 75% आर्थिक सहायता एवं रासायनिक तथा जैविक कीटनाशी पर 50% आर्थिक सहायता मिल रहा है किसानों को चिन्हित कीटनाशी विक्रेताओं के पास से इसे लेना होगा किसान भाई प्राप्त कैशमेमो और जमीन की रसीद को लेकर औनलाइन के माध्यम से कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर जाकर आवेदन कर आर्थिक सहायता हासिल कर सकते हैं राशि उनके खाते में चली जाएगी

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