बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन करने के लिए अपनाएं ये टिप्स
समर्थन करने का कोशिश करें
यह उम्र बहुत नाजुक होती है। इस दौरान बच्चे कई गलतियां करते हैं, उन्हें डांटने की बजाय उनकी बात को समझने की प्रयास करें। उन्हें किसी भी तरह की कठिनाई से निकालने की प्रयास करें। आप बच्चों को समझाएं ताकि भविष्य में वे अपनी गलती न दोहराएं। बच्चे आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त मानेंगे।
आने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करें
इस उम्र में बच्चे का स्वभाव भी बहुत शीघ्र बदल जाता है। बच्चे कभी बहुत खुश होते हैं तो कभी बहुत गुस्से में। उनकी उम्र को देखते हुए उनके दिल को जानने की प्रयास करें। उनके व्यवहार में आए परिवर्तन को समझने की प्रयास करें। यदि बच्चों को कोई परेशानी है तो उसे हल करने का कोशिश करें।
बच्चों को समय दें
आजकल माता-पिता अपने जीवन में इतने व्यस्त हैं कि वे अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इस परेशानी के कारण बच्चे बहुत अकेलापन महसूस करने लगते हैं। ऐसे में बच्चे भी अक्सर अपने माता-पिता से दूर हो जाते हैं। अपनी व्यस्त जीवन शैली में से कुछ समय बच्चों के लिए निकालें। उनसे बात करो। इसके अतिरिक्त आपको बच्चों को उनके विद्यालय प्रोजेक्ट में भी सहायता करनी चाहिए।
अपने शब्द साझा करें
बच्चों के करीब आने के लिए आपको बस उनकी बात सुनने की आवश्यकता नहीं है। आप अपनी कठिनाई बच्चों से भी शेयर कर सकते हैं। इससे बच्चों का आप पर विश्वास बढ़ेगा। उनके साथ आपके संबंध और भी मजबूत होंगे। इससे पहले कि बच्चे आपके साथ कुछ भी साझा करें, घबराएं नहीं।
दोस्त बनने की प्रयास करें
अपने बच्चों के लिए एक अच्छा दोस्त बनने की प्रयास करें। उनसे दोस्ती करने की प्रयास करें, इससे बच्चे आपके करीब आएंगे। बच्चे से पूछने की प्रयास करें कि उसके दिल में क्या है। बदलते समय में आप बच्चे की पसंद की चीजें करके उसके बहुत अच्छे दोस्त बन सकते हैं।