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किसान सरसों की फसल का सफेद रतवा रोग से ऐसे करें बचाव

किसानों की पकी पकाई फसल को सफेद रतवा या बारहसिंगा बीमारी तेजी से खराब कर रहा है इस बीमारी से बचाव के व्यवस्था जान लेना ही फसल का वास्तविक बचाव है यह बीमारी काफी तेजी से फैलता है और पत्तियों को और तने को बहुत शीघ्र खराब कर देता है पत्तों पर सफेद रंग का पाउडर जैसा कीट लगना प्रारम्भ होता है, जो पूरे पौधे को जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है कृषि वैज्ञानिक ने इससे बचाव के तरीका बताएं हैं और किसानों को सतर्क किया है

खेकड़ा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शिवम सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि सरसों की फसल लगभग पककर तैयार होने जा रही है ऐसे में किसानों के लिए सफेद रतवा ( बारह सिंघा) बीमारी कठिनाई बन चुका है यह बीमारी सर्दी और बरसात के बाद तेजी से फैलना प्रारम्भ हुआ है इसकी पहचान किसान अपने खेत में पहुंचकर कर सकते हैं पौधे की निचली सतह पर पत्तियों में यह बीमारी लगना प्रारंभ होता है पत्तियां सफेद पड़ती हैं और पाउडर जैसा कीट नजर आने लगता है यह धीरे-धीरे पूरे पौधे को चपेट में लेना प्रारम्भ करता है और पौधे को पूर्ण रूप से खराब कर देता है जैसे ही किसानों को यह कीट दिखाई दे, तो तुरंत इसके व्यवस्था प्रारम्भ कर दें, यदि एक-दो पौधों में यह दिखाता है तो उसे पौधे को उखाड़ कर तुरंत खेत से बाहर कर दें

सरसों में सफेद रतुआ बीमारी से बचाव के उपाय

अगर खेत में ऐसा कीट दिखाई दे तो संक्रमित पौधे/पौधे के हिस्से को तोड़ के खेत से हटाकर जमीन में गाड़ दें और संक्रमण 10% से अधिक होने पर मेटालैक्सिल 8% + मैंकोजेब 64% डबल्यू पी का 2-2.5 ग्राम/लीटर पानी के हिसाब से 2-3 छिड़काव करना चाहिए, जिससे इस बीमारी का प्रबंधन हो सके समय-समय पर किसान अपने खेत में जाकर नज़र करें, कीट दिखाई देने पर तुरंत इसमें कीटनाशक छिड़काव प्रारम्भ कर दे और किसी भी जानकारी के लिए खेकड़ा कृषि विज्ञान केंद्र पर पहुंचकर मुफ़्त जानकारी प्राप्त करें

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