सर्दी के माइग्रेन के दर्द से बचने के लिए करें ये उपाय
माइग्रेन पीड़ितों को अक्सर सिरदर्द होता है और जब तनाव बढ़ता है या नींद का पैटर्न बाधित होता है, तो दर्द बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त जब मौसम में परिवर्तन होता है तो यह भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। सर्दियों में जैसे-जैसे तापमान गिरना प्रारम्भ होता है, माइग्रेन की परेशानी काफी बढ़ जाती है और इसका असर उनकी दैनिक गतिविधियों पर भी पड़ने लगता है। इसलिए सर्दियों में माइग्रेन के रोगियों को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
माइग्रेन एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो कई कारकों से प्रारम्भ हो सकता है। मौसम में परिवर्तन माइग्रेन के दर्द का एक आम कारण है। हालाँकि, भिन्न-भिन्न लोगों में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। आइए अब जानते हैं कि मौसमी या सर्दी के माइग्रेन के दर्द से कैसे बचें।
मौसम में परिवर्तन के कारण नींद का पैटर्न गड़बड़ाने लगता है, जिससे माइग्रेन हो सकता है। इसलिए, अपने सोने का शेड्यूल ठीक रखें और प्रतिदिन कम से कम 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें। सोने का अच्छा माहौल बनाने के लिए ऐसा कमरा चुनें जो शांत हो और तापमान सामान्य हो, साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि सोते समय रोशनी ऐसी हो कि आंखों में चुभन न हो।
निर्जलीकरण भी एक सामान्य कारण है जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकता है, इसलिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है। सर्दियों में अक्सर लोग पानी देना कम कर देते हैं, लेकिन यह गलती आपको हानि पहुंचा सकती है। माइग्रेन से पीड़ित रोगियों को विशेष ध्यान रखना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए। शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए आप तरल पदार्थ ले सकते हैं।
सर्दियों में धूप का सेवन बहुत लाभ वाला होता है। यदि आप माइग्रेन से पीड़ित हैं तो अपनी आंखों को सीधी धूप से बचाएं। रोशनी की स्थिति में अचानक परिवर्तन (अंधेरे से तेज रोशनी में) से भी माइग्रेन का दर्द बढ़ सकता है। अगर आप लगातार कंप्यूटर पर काम करते हैं तो समय-समय पर ब्रेक लें और स्क्रीन टाइम कम से कम रखने की प्रयास करें।
अगर मौसम में परिवर्तन के कारण माइग्रेन के कारण आपकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है, तो चिकित्सक से राय लें और जानें कि किस मौसम में आपको माइग्रेन होने का खतरा अधिक है। इससे आप अपनी दवाओं के साथ-साथ अपना दैनिक शेड्यूल भी बनाए रख पाएंगे।