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माह-ए-रमजान का अलविदा जुमे की नमाज आज

Alvida Jumma 2024: रमजान के पाक माह का आखिरी जुमा आज है आज माह-ए-रमजान की अलविदा जुमे की नमाज पढ़ी जाएगी अलविदा जुमा को अरबी में जमात-उल-विदा भी बोला जाता है आज अलविदा जुमे की नमाज दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 230 के बिच सभी मस्जिदों में अदा की जाएगी रमजान के अंतिम जुमे को अलविदा बोला जाता है आज हर मुस्लिम जुमे की नमाज जरूर अदा करता है बता दें कि पाक महीने रमजान में पड़ने वाले जुमा का और अधिक महत्व बढ़ जाता है

आज है अलविदा जुमा

रोजा रखने वाले रोजेदारों ने कहा कि रमजान महीन में पड़ने वाले अंतिम शुक्रवार को अलविदा जुमा बोला जाता है इसे जुमातुल विदा भी कहते है इस वर्ष रमजान का चौथा या अलविदा जुमा 05 अप्रैल 2024 यानी आज है अलविदा जुमा के दिन नमाज की खास फजीलत है

रोजा से हैं कई फायदे, विभिन्न रोंगों से भी मिलती है निजात

आसिफ रजा कादरी ने कहा कि रमजान जो सभी महीनों में खास है, क्योंकि यह रहमत और बरकत साथ लाता है इस महीने का रोजा और इबादत आदमी को पवित्र बना देता है यदि आदमी समझ जाए की रोजे की क्या अहमियत है और उसके कितने लाभ हैं, तो लोग तमन्ना करेंगे की काश पूरा वर्ष रमजान का महीना होता इस्लाम की बुनियाद पांच चीजों से है जिसमे से रोजा एक है

रोजा आदमी को केवल इबादत परहेजगारी नहीं सिखाता, बल्कि आदमी को शारीरिक और मानसिक रूप से भी सही बनता है रोजा हर बुरी आदतों से छुटकारा दिलाता है खास रमजान का रोजा आदमी को केवल मजहबी नहीं, बल्कि कई तरह की जिस्मानी रोंगों से भी बचाता है बधाई महीना रमजान का 30 रोजा रखकर आदमी रूहानी ताकतों से रूबरू होता है 11 महीना खान-पान के कारण होने वाली कई प्रकार की रोंगों को रोजा (उपवास) दूर करता है

 

इस्लाम में जुमा का महत्व

इस्लाम धर्म में हफ्ते का पांचवा दिन शुक्रवार खास अहमियत रखता है इस्लामिक शब्द में इसे जुमा या जुम्मा बोला जाता है जुमे के दिन को इस्लाम में छोटी ईद भी बोला जाता है जुमे के दिन सभी मुस्लिम मस्जिद में एकत्रित होकर नमाज अदा करते हैं और गले मिलकर जुमे की शुभकामना भी देते हैं

रमजान के पाक महीने मे जकात और फितरा देना सुनत है

मोहम्मद जफर हसन ने बोला कि माह-ए-रमजान के पाक महीना में फितरा और जकात भी निकाला जाता है फितरा और जकात इसलिए निकाला जाता है ताकि जो लोग बहुत गरीब है, वो भी ईद का पर्व खुशी इंकार सके इस्लाम में छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखा जाता है जकात का पैसा वैसे लोग निकालते है, जिनके पास सम्पत्ति अधिक है जबकि फितरा का पैसा हम सभी लोगों को निकालना होता है रमजान के महीने में मुसलमानों पर प्रति आदमी फितरा वाजिब होता है, जो गरीबों में बांटा जाता है इस महीने मे जकात और फितरा देना बहुत ही अच्छा माना जाता है इसे देने से न केवल आपको आपके घर मे बरकत आती है बल्कि आप स्वास्थ्य वर्धक भी रहते है इसके अलावा, बोला जाता है कि रमजान में लोगों का खर्चा अधिक बढ़ जाता है ऐसे मे फितरा और जकात किसी गरीब के लिए किसी राहत से कम नहीं है इसलिए रमजान के महीने मे जकात और फितरा निकाला जाता है

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