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बाल अधिकार आयोग : FSSAI से नेस्ले के शिशु आहार उत्पादों में शुगर की मात्रा की करें समीक्षा

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने एक रिपोर्ट में स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की बात सामने आने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं संरक्षा प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट्स में शुगर की मात्रा की जांच करने के लिए बोला है.

स्विस संगठन पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) की रिपोर्ट में बोला गया है कि हिंदुस्तान में अंतरराष्ट्रीय कद्दावर नेस्ले द्वारा बेचे जाने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में ब्रिटेन, जर्मनी, स्विटजरलैंड और दूसरे विकसित राष्ट्रों के समान उत्पादों के उल्टा शुगर का उच्च स्तर होता है.

आईएएनएस द्वारा देखे गए खाद्य नियामक को लिखे पत्र में एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने कहा, “इन चिंताओं के मद्देनजर यह निवेदन किया जाता है कि एफएसएसएआई नेस्ले और अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित और विपणन किए जाने वाले शिशु खाद्य उत्पादों में शुगर की मात्रा की व्यापक समीक्षा करे.

आयोग ने बोला कि उसने रिपोर्ट का “संज्ञान ले लिया है” और शुगर की अतिरिक्त मात्रा संभावित रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है.

एफएसएसएआई प्रमुख जी कमला वर्धन राव को संबोधित पत्र में बोला गया है, “इस जनसंख्या समूह की संवेदनशीलता और उनकी अद्वितीय पोषण संबंधी जरूरतों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि शिशु आहार पोषण गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए कठोर मानकों को पूरा करे.

खाद्य नियामक से यह जांचने का निवेदन किया गया कि नेस्ले के उत्पाद उसके द्वारा प्रमाणित हैं या नहीं. इसने एफएसएसएआई से आयोग को “शिशु खाद्य उत्पादों के लिए मानक दिशानिर्देश” प्रदान करने और खाद्य नियामक के साथ दर्ज़ शिशु खाद्य उत्पाद कंपनियों और उत्पादों की सूची साझा करने के लिए भी बोला है.

आयोग ने एफएसएसएआई से “सात दिन के भीतर पूछताछ करने और जानकारी देने” को बोला है.

इस बीच, नेस्ले ने बोला है कि उसने पिछले पांच वर्ष में अतिरिक्त शुगर में 30 फीसदी तक की कमी की है और वह अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करती है.

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