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चैत्र नवरात्रि कब से होगी शुरू, जानें सही तिथि, घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ होती है चैत्र नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत ही उत्तम माने जाते हैं, इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं नवरात्रि के पहले दिन लोग अपने घरों में कलश की स्थापना कर नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते है इसके साथ ही नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं आइए जानते हैं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की आरंभ कब से हो रही है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब है…

चैत्र नवरात्रि कब से होगी शुरू

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ होती है, इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 50 मिनट से प्रारम्भ होगी प्रतिपदा तिथि 09 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी उदया तिथि के मुताबिक 09 अप्रैल को घटस्थापना के लिए शुभ समय सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है, इसके अतिरिक्त 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है आप इन दोनों मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं

बन रहे ये शुभ योग

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, इस दिन अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 32 से हो रहा है ये दोनों योग संध्याकाल 05 बजकर 06 मिनट तक है बता दें कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना कर मां दुर्गा का आव्हान किया जाता है, ज्वारे बोए जाते हैं 9 दिन भक्त व्रत रखकर माता की पूजा करते हैं इस दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश-कर्नाटक में उगादी का पर्व मनाया जाता है

चैत्र नवरात्रि के नौ दिन तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान

चैत्र नवरात्रि के नौ दिन तक जगत जननी मां जगदंबे के नौ भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है मां दुर्गा के नौ अवतार हैं- मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी की पूजा करने का विधान है चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है

कलश की पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में स्थापना करें

  • कलश स्थापना के लिए पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं
  • इसके बाद अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें
  • कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश स्थापित करें
  • कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें
  • एक पात्र में स्वच्छ मिट्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं और इसे चौकी पर रख दें
  • अंत में दीप जलाकर गणपति, माता जी, नवग्रहों का आवाहन करें फिर विधि-विधान से देवी की पूजा करें

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