कौन कहता है भगवान सुनते नहीं, यहां के युवा बने टीचर-इंस्पेक्टर
सागर। बुंदेलखंड के सागर में प्राचीन पटनेश्वर धाम नाम से सिद्ध मंदिर है। यहां ईश्वर भोलेनाथ स्वयंभू प्रकट माने जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण मराठा काल में हुआ था। इस सिद्ध जगह को लेकर मान्यता है कि जो भी युवा सच्चे मन से दरबार में सेवा करते हैं, उनकी सरकारी जॉब अवश्य लगती है। यहां सेवा करने वालों में पुलिस की जॉब सबसे शीघ्र लगती है।
गांव के हर दूसरे घर में सरकारी कर्मचारी
यह मंदिर सागर मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित ढाना ग्राम से लगा हुआ है। ग्राम पंचायत ढाना सागर का सबसे अधिक संपन्न और शिक्षित गांव है। यहां हर दूसरे घर में लोग सरकारी जॉब में हैं। कृष्ण कुमार पौराणिक बताते हैं कि गांव की जनसंख्या को सौ-फीसदी साक्षर कहें तो गलत नहीं होगा। गांव से डीपी तिवारी लंदन रिटर्न होकर आए और सागर में नेत्र जानकार हॉस्पिटल खोला है। महेंद्र कुमार पटेरिया भी डीआईजी रहे हैं।
200 से अधिक लोग शिक्षक और पुलिस सेवा में
गांव के लोग बताते हैं कि इस छोटे से गांव में 200 से अधिक लोग शिक्षक और पुलिस महकमे में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस गांव से जुड़े आसपास के क्षेत्र में भी यही हाल है, जो भी श्रद्धालु धाम से जुड़े हुए हैं, उन पर ईश्वर भोलेनाथ की कृपा हुई है। मान्यता है कि यहां पूजा करने और श्रद्धा रेट से सेवा करने पर मन इच्छित फल मिलता है।
मेरे बेटे की भी पुलिस में जॉब लगी
ढाना के राम कुशल तिवारी बताते हैं कि गांव के जो 20 से 25 वर्ष के युवा हैं, वे प्रतिदिन शाम चार बजे से मंदिर में साफ सफाई और अन्य सेवा में जुट जाते हैं। इसी सेवा से प्रसन्न होकर भोलेनाथ उनको कहां से कहां पहुंचा देते हैं, पता ही नहीं चलता। यहां सेवा और पूजा करने पर सरकारी जॉब लगती है और पुलिस में अधिक लोग जाते हैं। मेरे बेटे की भी पिछले वर्ष पुलिस में ही जॉब लगी है। यहां दर्शन करने से बेटियों की विवाह भी शीघ्र होती है।
महारानी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था मंदिर
गांव के राजीव हजारी Local 18 को कहा कि श्रद्धा रेट से जो भी श्रद्धालु भक्ति धाम पर आते हैं, वे खाली हाथ नहीं लौटते। मंदिर के निर्माण को लेकर बोला जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई सागर से रहली देवरी का यात्रा करती थीं, तो रास्ते में उनका पड़ाव यहां होता था। यह जगह उन्हें इतना पसंद आया कि यहां पर उन्होंने एक बावड़ी और मंदिर का निर्माण कराया, जो आज भी उपस्थित है। पहले यहां पटना नाम का ग्राम हुआ करता था, इसलिए यह मंदिर पटनेश्वर धाम के नाम से मशहूर हो गया। वहीं, यहां पर धनाढ्य बस्ती होने की वजह से गांव का नाम ढाना पड़ गया।